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पंजाबः सरकार का SC को जवाब, पराली जलाने के मामले में लगाया गया 2 करोड़ रुपये जुर्माना

चंडीगढ़ः दिल्ली NCR में प्रदूषण का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फिर प्रदूषण कम करने की बात दोहराई गई। कोर्ट ने पूछा कि पराली जलाकर कानून का उल्लंघन करने वाले लोगों को आर्थिक लाभ क्यों दिया जाए। एफआईआर, जुर्माने के अलावा, उन्हें MSP से भी वंचित किया जाए। कुछ ऐसा कीजिए जिससे उनकी जेब को धक्का लगे। हम यह भी जानना चाहते हैं कि कितना जुर्माना वसूला गया है। पहले दिल्ली ने कहा कि पंजाब समस्या है, अब कहते हैं कि पंजाब समस्या नहीं है, इसमें राजनीति न करें. पंजाब सरकार ने कहा कि सरकार की तरफ से जो मशीनें दी गई हैं, उस पर 80 फीसदी की सब्सिडी दी जा रही है।

पराली जलाने वालों के खिलाफ सरकार ने की कार्रवाई

वहीं पंजाब सरकार ने कहा अन्य फसलों पर भी सब्सिडी दिए जाने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक समस्या यह है कि जो लोग पराली जला रहे हैं वे यहां नहीं आएंगे। बिहार में वे इसे अपने हाथों से काटते हैं, हम समझते हैं  जिन लोगों के पास पर्याप्त जोत है, उनके पास मशीनीकृत कटाई के साधन हैं। लेकिन छोटी जोत वाले लोग पराली जलाने को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। पंजाब सरकार ने कहा कि हमने पराली जलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की है करीब 100 एफआईआर दर्ज की और 2 करोड रूपये का जुर्माना भी वसूला है।

पराली जलाने में शामिल लोगों को किया जाए MSP से वंचित 

जस्टिस एस के कौल ने कहा कि खेतों में आग का क्या हुआ? – हमने कहा था कि स्थानीय SHO जिम्मेदार होंगे। हम इस मामले को मॉनीटर करेंगे। जिस पर पंजाब के वकील ने कहा कि बैठकें हो चुकी हैं, 1000 एफआईआर दर्ज हैं। पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क के रूप में 2 करोड़ रुपये वसूले गए। 6 जिले पूरी तरह से कृषि अग्नि मुक्त हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में समय सीमा तय करे। जस्टिस कौल ने पूछा कि आप अतिरिक्त जुर्माना क्यों नहीं लगाते, जैसे इसमें शामिल लोगों को MSP से वंचित किया जाए – उन्हें अपने उत्पाद बेचने में सक्षम नहीं होना चाहिए। जस्टिस कौल ने कहा कि गरीब किसानों के लिए, राज्य को मशीनरी की फंडिंग करनी चाहिए। वहीं जस्टिस धुलिया ने कहा कि ये राज्य की ड्यूटी है। जस्टिस कौल ने कहा कि और फिर सरकार उत्पाद को लेकर बेच सकती है। एमिक्स अपराजिता सिंह ने कहा कि गरीब किसान मशीन नहीं खरीद सकते। सब्सिडी प्रदान करना राज्य सरकार का काम है। पंजाब राज्य द्वारा दायर की गई रिपोर्ट से पता चलता है कि किसानों और किसान नेताओं को पराली न जलाने के लिए मनाने के लिए SHOs द्वारा 8481 बैठकें की गई हैं।

984 दर्ज की गई FIR 

984 FIR दर्ज की गई हैं, – और AG का कहना है कि ये ज़मीन मालिकों के खिलाफ दर्ज की गई हैं। 2 करोड़ रुपये से अधिक का मुआवजा लगाया गया है, जिसमें से 18 लाख रुपये की वसूली की जा चुकी है. शेष राशि भी वसूल की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पंजाब में हुई कुल आग की घटनाओं में से फील्ड विजिट के बाद पता चला कि केवल 20% मामलों में ही जुर्माना लगाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसान को विलेन बनाया जा रहा है और उसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है, उसके पास पराली जलाने के कुछ कारण होंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने सूख रही जमीन और जल स्तर कम होने पर जताई चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि पंजाब में जमीन धीरे-धीरे सूखती जा रही है, क्योंकि जल स्तर कम होता जा रहा है। यदि ज़मीन सूख गई तो बाकी सब चीज़ें प्रभावित होंगी। कहीं न कहीं किसानों को धान उगाने के दुष्परिणामों को समझना चाहिए या समझाया जाना चाहिए। धान की खेती पर क्या प्रभाव पड़ रहा है, अब इसका अर्थशास्त्र हम नहीं जानते। अटॉर्नी जनरल- हरियाणा योजना उस प्रश्न से संबंधित है, जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि किसानों को सहायता के मामले में पंजाब को हरियाणा से सीखना चाहिए। किसानों को भी अपनी फसल से पर्यावरण और पानिी की उपलब्धता पर पड़ने वाले असर पर भी ध्यान देना चाहिए, अपने फायदे के अलावा भी सोचना चाहिए। किसानों को मशीनों और ईंधन के साथ अन्य जरूरी चीजें मुफ्त मुहैया करानी चाहिए। धान के अलावा अन्य फसलों पर भी सोचना चाहिए। पंजाब और हरियाणा के अलावा भी अन्य राज्यों को इस ओर ध्यान देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य और केंद्र को राजनीति भूलकर स्थायी समाधान ढूंढना चाहिए।

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