फाजिल्काः जिले के सरकारी अस्पताल में मरीजों को लाने-ले जाने के लिए सरकारी एंबुलेंस न होने के कारण जहां लोग प्राइवेट एंबुलेंस नहीं ले पाते, वहीं अब नई जुगाड़ू गाड़ियां गरीबों के मरीजों के लिए एंबुलेंस का काम करने लगी हैं। परिजन जान जोखिम में डालकर ऐसे जुगाड़ू वाहन पर सवार होकर मरीज को 35 किलोमीटर दूर तक ले जाने को मजबूर हैं। वहीं ऐसा ही एक मामला जिले से सामने आया है, जिससे पंजाब की स्वास्थ्य सुविधाओं पर सवालिया निशान लग रहे हैं। मामले की जानकारी देते हुए जसविंदर कौर ने बताया कि वह जलालाबाद के चक मोजदीनवाला गांव की रहने वाली हैं। उनका भाई परमजीत सिंह विकलांग हैं और उसकी पैर की अंगुली शूगर के कारण काटनी पड़ी थी।
ऐसे में वे प्राइवेट स्तर पर एंबुलेंस का खर्च नहीं उठा सकते और जलालाबाद से फाजिल्का के सरकारी अस्पताल तक मरीज का खून निकलवाने और डॉक्टर से जांच करवाने के लिए लगने वाले चक्करों के कारण उन्हें सरकारी स्तर पर भी एंबुलेंस नहीं मिल पा रही। यही कारण है कि वे 500 रुपये में मोटरसाइकिल ट्रॉली जुगाड़ू वाहन का इंतजाम कर जलालाबाद के मरीज को करीब 35 किलोमीटर दूर ले जा रहे हैं। उनका कहना है कि परिवार पहले ही गांव और अन्य लोगों से पैसे इकट्ठा कर भाई का इलाज करा चुका है।
वहीं मरीज परमजीत ने स्वास्थ्य सुविधाओं पर सवालिया निशान उठाते हुए कहा कि अगर इस अस्पताल में किसी अमीर आदमी का बच्चा बीमार पड़ जाए तो एक मिनट में एंबुलेंस मिल जानी थी और एम्बुलेंस न मिलने के कारण अब स्थिति यह है कि उन्हें जुगाड़ू वाहन का सहारा लेना पड़ रहा है। वहीं, जब इस संबंध में जिले के सिविल सर्जन चन्द्रशेखर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि फाजिल्का जिला अस्पताल में 2 और जलालाबाद में एक सहित 108 की कुल 9 एम्बुलेंस हैं। उन्होंने कहा कि जागरूकता की कमी के कारण ऐसी तस्वीर सामने आ रही है। सरकारी अस्पताल में लिखित बैनर लगाकर इसके प्रति जागरूक किया जाएगा।
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