चंडीगढ़ः किसानों ने एक बार फिर से अपनी मांगे पूरी ना होने के चलते टोल प्लाजा बंद करने का ऐलान किया है। दरअसल, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) का हिस्सा रहे उत्तर भारत के 18 किसान संगठनों ने 23 व 24 अक्तूबर को कारपोरेट घरानों और मोदी सरकार के पुतले फूंक कर किसान-मजदूर दशहरा मनाने का एलान किया है। इस दौरान कारपोरेट घरानों और मोदी सरकारी की विभाजनकारी नीतियों के खिलाफ इन किसान संगठनों ने आगामी नवंबर के दूसरे पखवाड़े से राज्य में सभी टोल प्लाजा को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने का भी एलान किया है।
चंडीगढ़ स्थित किसान भवन में रविवार को उक्त 18 किसान संगठनों की बैठक में चार सदस्यीय कमेटी का गठन भी किया गया, जो एसकेएम से संबंधित अन्य गैर-राजनीतिक किसान संगठनों के साथ एकता वार्ता को आगे बढ़ाएगी। इस तरह एसकेएम के सभी 32 संगठनों को किसानों और खेत मजदूरों की लंबित मांगों के लिए एक मंच पर लाया जाएगा। बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान संगठनों के पदाधिकारी, सरवन सिंह पंधेर, जसविंदर सिंह लौंगोवाल, जरनैल सिंह कालेके और अमरजीत सिंह मोहरी ने बताया कि 18 संगठनों ने बाकी किसान संगठनों के साथ एकता वार्ता के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया है।
अब तक किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के नेतृत्व में हुई एकता वार्ता के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। परस्पर एकता के लिए आगे भी वार्ता जारी रहेगी और सभी संगठन मिलकर दिल्ली आंदोलन की तर्ज पर किसानों की मांगों के लिए बड़ा आंदोलन शुरू करेंगे। नेताओं ने कहा कि 18 संगठन 23 और 24 अक्टूबर को मोदी सरकार और कॉरपोरेट घरानों का पुतला फूंककर किसान मजदूर दशहरा मनाएंगे। इसके साथ ही, अपनी मांगें मनवाने के लिए नवंबर के दूसरे पखवाड़े में लंबी अवधि के लिए सभी टोल प्लाजा फ्री कर दिए जाएंगे। किसान नेताओं ने मांग की कि सभी फसलों की खरीद को लेकर एमएसपी गारंटी कानून बनाया जाए और सभी फसलों का दाम डॉ. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक ‘सी2 जमा 50 फीसदी’ के फॉर्मूले के अनुसार दिया जाए। इसके अलावा मनरेगा के तहत मजदूरों को हर साल 200 दिन का रोजगार दिया जाए।