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पंजाबः कारगिल शहीद नछतर सिंह के बुत पर पड़ी गंदगी, समाज सेवी ने उठाए गंभीर सवाल, देखें वीडियो

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मोगाः कारगिल में शहीद हुए सैनिक शहीद नछतर सिंह का बुत परिवार और गांववासियों के द्वारा कस्बा धर्मकोट के अधीन पड़ते गांव खम्बे में 2001 में स्थापित किया गया था। इस बुत को स्थापित करने का मुख्य मकसद यह था कि शहीदों को हमेशा याद रखना और आने वाली पीड़ियों को बताना कि इस गांव के नछतर सिंह ने देश की खातिर कुर्बानी दी थी। एक तरफ पूरे देश में 27 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया गया है। जिन्होंने देश की खातिर अपनी कुर्बानियां दी गई। वहीं शहीदों के परिवारों को सन्मानित भी किया किया गया। इस दौरान सरकार के द्वारा शहीदों के परिवारों को हर सुख सुविधा दी जाती है और परिवारिक सदस्य को सरकारी नौकरी भी जाती है। वहीं शहीदों के बुत भी लगाये जाते है। दूसरी ओर गांव के बाहर शहीद नछतर सिंह का बुत तो लगा है, लेकिन अब उसकी हालत ऐसी है कि बुत के चारों और घासफूस पड़ा हुआ है। उसके आसपास कई तरह के पौधे उग गए है, जिनके कारन यह बुत उनके कारन अपनी छवि भी खराब चुका है और इसकी और कोई ध्यान नहीं देता। हालात यह हो गए है कि यह नशा करने वालो का अड्डा बन कर रह गया है लेकिन परिवार और पंचायत और गांव वासियों द्वारा इस स्मारक की संभाल करनी तो दूर शायद यह समझा जा रहा है कि यहां कोई स्मारक है ही नहीं। वही परिवार को सरकार दुवारा मिली सभी सुख सुविधाओ का पूरा आंनद लिया जा रहा है और स्मारक की और से गुजरने के वक्त उस और ध्यान नहीं दिया जा रहा। जिसके कारण बुत की साफ़ सफाई भी नहीं करवाई जा रही। इस स्मारक के हालात को अवगत करवाते हुए एख समाज सेवी ने इसकी वीडियो वायरल की है। 

स्मारक की वीडियो वायरल होने के बाद कई समाज सेवी और गांव वासी भी सामने आए। जिन्होंने कहा कि हमारे गांव का सब से छोटी उम्र का बच्चा जो सेना में भर्ती होकर देश के लिए कारगिल में शहीद हो गया, लेकिन आज परिवार की और से उसकी कुर्बानी को भुलाया जा रहा है। बड़े अफ़सोस की बात है कि शहीद की स्मारक आज नशेड़ियो का अड्डा बन कर रह गई है। वहीं गांव वासियों ने कहा कि शहीद नछतर सिंह के परिवार को चाहए कि वह स्मारक की देख भाल करें। क्योंकि परिवार सरकार की और से उसकी शाहदत के बदले सभी सुख सुविधाओ का आनंद मान रहा है। 

वहीं दूसरी और शहीद के भाई कुलदीप सिंह ने कहा कि सरकार की और से उन्हें समय समय पर सन्मान दिया जा रहा है। वहीं उन्होंने ने अजीब-सा बहाना बनाते हुए कहा कि वह काम में वियस्त होने के कारण स्मारक की सफाई नहीं करवा सके। दूसरी और जब इस बारे धर्मकोट की एसडीएम से बात की तो उन्होंने कहा की हमारे देश में जब भी किसी भी गांव का सैनिक शहीद होता है तो उसकी स्मारक भी परिवार के कहने पर स्थापित करने के लिए मंजूरी भी प्रशासन देता है। गांव वासी और परिवार इसको स्थापित करता है और ऐसी स्मारकों की देखभाल भी परिवार करता है और उसका फर्ज भी है। क्योंकि शहीद की बदोलत ही परिवार को सभी सुख सुविधाए परिवार को मिलती है और परिवार को चाहिए कि वह इस स्मारक की सफाई भी करवाए और अगर कोई हमें कहेगा तो ही हम इसकी देखभाल करवायेगे।

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