लुधियाना : आप पार्टी से यूथ विंग के जिला कार्यकारी प्रधान परमिंदर सिंह संधू को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। दर्शन परमिंदर सिंह संधू एडवोकेट की फर्जी डिग्री के मामले में विवादों में घिरते हुए नजर आ रहे हैं। दरअसल, एडवोकेट डेविड गिल ने किस बात का खुलासा करते हुए आरोप लगाया है कि एडवोकेट परविंदर सिंह संधू 12वीं फेल है और उन्होंने एडवोकेट की फर्जी डिग्री ली हुई है। डेविड गिल का आरोप है कि परमिंदर संधू की फर्जी डिग्री में आप विधायक गुरप्रीत गोगी शाहिद कई अधिकारियों की उन्हें सपोर्ट है। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई चुनाव आयोग को शिकायत करने के बाद सामने आई है।
डेविड गिल बताया कि वह एडवोकेट की प्रैक्टिस कर रहे हैं। दरअसल, हाईकोर्ट में याचिका टायर की थी जिसमें उन्होंने कहा कि लुधियाना में फर्जी डिग्री के वकीलों का मामला सामने आया है। डेविड गिल का आरोप है कि काफी संख्या में फर्जी डिग्री लेकर लोग एडवोकेट की प्रैक्टिस कर रहे हैं। परमिंदर संधू को लेकर उन्होंने कहा कि उनके बारे में उन्हें 2019 में पता लगा था। डेविड गिल ने कहा कि परमिंदर संधू ने 2018 में चुनाव लड़े थे और उसमें जीत हासिल कर वह बार एसोसिएशन का मेंबर बना। गिल ने आरोप लगाया कि उस समय परमिंदर संधू छोटा हाथी चलता था उसके बाद वह एडवोकेट बन गया। गिल ने कहा जब संधू के मामले को लेकर उन्होंने इन्वेस्टिगेशन की और उसके बाद पी नंबर की बार काउंसिल से आरटीआई ली।
गिल का आरोप है कि वह पी नंबर उसका नहीं है बल्कि पटियाला के प्रिंस रूप नामक व्यक्ति का है। गिल का आरोप है कि जब परमिंदर के डॉक्यूमेंट की जब बार एसोसिएशन से जांच की गई तो पता चला कि वे डॉक्यूमेंट उसके है ही नहीं। गिल ने आरोप लगाए हैं कि 2018 में परमिंदर जब बार एसोसिएशन का मेंबर बना तो उसके बाद उसने उक्त डॉक्यूमेंट को खुर्द-बुर्द कर दिया था। इसके बाद गिल ने इस मामले को लेकर 2021 में बार एसोसिएशन पंजाब एंड हरियाणा को शिकायत दी थी। जिसके बाद पांच नंबर की एक कमेटी बनाई गई, जिसमें हरीश राय टडडा और सीएमओ मुंजाल शामिल थे।
इस संबंध मे जब परमिंदर संधू से संपर्क साधा, तो उनका फ़ोन किसी और ने उठाया, यदि वह इस मामले मे अपना पक्ष रखना कहते है तो उसे भी प्रकाशित किया जायेगा। बता दें कि चुनाव आयोग से शिकायत करने के बाद ही संधू को नामजद किया गया है। जांच के बाद डिवीजन नंबर 5 पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी ), 465 (जालसाजी), 467 (मूल्यवान सुरक्षा, वसीयत आदि की जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 471 (जाली दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को असली के तौर पर इस्तेमाल करना) के तहत मामला दर्ज किया है। 11 नवंबर 2022 को दीपक प्रजापति के खिलाफ दर्ज एफआईआर में आरोपी को नामजद किया गया था।