16.4 प्रतिशत गैर-खेती योग्य पानी
लुधियानाः पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने 2020 से 2023 तक पंजाब के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र के 7 जिलों में भूमिगत पानी की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए 2664 पानी के नमूने लिए गए। जिसको लेकर एक व्यापक अध्ययन किया। भूमिगत पानी विज्ञान के मुखी डॉक्टर धनविंदर सिंह ने बताया कि ज्यादातर धरती के पानी के नमूने में खारे पानी का उच्च स्तर पाया गया, केवल 30.5 नमूने सिंचाई के लिए उपयोग योग्य पाए गए। जबकि 53.1 प्रतिशत सीमांत और 16.4 प्रतिशत पानी खेती के इस्तेमाल के योग्य नहीं है। डॉ. ने कहा कि अध्ययन में बठिंडा, मानसा, मुक्तसर साहिब फाजल्का, मोगा, बरनाला शामिल हैं। उन्होंने कहा कि 16.4 प्रतिशत अनुपयोगी जल है।
उन्होंने कहा कि विशेषकर इस पानी से यदि हम धान का लगातार उपयोग करते हैं तो गेहूं की पैदावार और मिट्टी के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि पंजाब के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में, जहां कम वर्षा होती है और मिट्टी और भूजल की लवणता अधिक है। किसानों को खारे पानी के संचय के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए उपलब्ध नहर और भूजल के संयुक्त उपयोग को अपनाना चाहिए। इससे फसल की पैदावार तो बनी रहती ही है, मिट्टी का स्वास्थ्य भी बना रहता है।
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