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Baba Siddique हत्याकांड को लेकर पुलिस ने किया खुलासा

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महाराष्ट्रः मुंबई में 12 अक्तूबर को एनसीपी नेता बाबा सद्दीकी की गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी। वहीं इस मामले को लेकर मुबंई पुलिस ने कोर्ट में बड़ा खुलासा किया है। दरअसल, मुबंई पुलिस ने इस मामले में गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के छोटे भाई अनमोल बिश्नोई का नाम मुख्य साजिशकर्ता के रूप में बताया है। पुलिस ने महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के प्रावधानों का हवाला देते हुए सिद्दीकी की हत्या के मामले में गिरफ्तार किए गए 8 आरोपियों की हिरासत मांगते हुए अनमोल बिश्नोई की संलिप्ता का दावा किया है। पुलिस ने बताया कि वह अन्य आरोपियों को वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा था।

दरअसल, विशेष मकोका अदालत के न्यायाधीश एएम पाटिल ने मुख्य हमलावर शिवकुमार गौतम समेत 8 आरोपियों को 7 दिसंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। जबकि बाकी आरोपियों को विशेष अदालत ने 14 दिन की हिरासत में भेजा है। जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का भाई अनमोल बिश्नोई और शुभम लोनकर इस मामले में वांछित आरोपी हैं। पुलिस ने अदालत से कहा, यह पैसा कहां से आ रहा था और इसके इस्तेमाल का पता लगाने के लिए जांच करने की जरुरत है। पुलिस ने अदालत को बताया कि अनमोल ने एक ऐप के जरिए सह-आरोपी से संपर्क किया था।

पुलिस ने कहा कि इस पहलू पर और जानकारी जुटाने के लिए उन्हें गिरफ्तार आरोपी की हिरासत की जरूरत है। मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने 12 अक्टूबर को सिद्दीकी की हत्या के सिलसिले में कथित मुख्य हमलावर शिवकुमार गौतम सहित अब तक 26 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पहले मजिस्ट्रेट अदालत ने सभी आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। पुलिस ने 30 नवंबर को इन सभी आरोपियों के खिलाफ मकोका की कड़ी धाराएं लगाईं, जिसके बाद उन्हें मंगलवार को विशेष अदालत में पेश किया गया था। पुलिस ने मामले की गहन जांच के लिए गौतम समेत आठ आरोपियों की हिरासत की मांग की थी, जिसे विशेष न्यायाधीश ने सात दिसंबर तक के लिए मंजूर कर दिया।

आरोपियों की पैरवी करने वाले वकील रूपेश जायसवाल, अजिंक्य मिर्गल और दिलीप शुक्ला ने हिरासत का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी पहले ही 40 दिनों से अधिक समय से हिरासत में हैं। वकील ने दलील दी कि आरोपियों के खिलाफ मकोका के प्रावधान नहीं बनते क्योंकि उनके खिलाफ पहले कोई मामला दर्ज नहीं है। उन्होंने कहा, इसके अलावा रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह दर्शाता हो कि ये आरोपी उस गिरोह का हिस्सा हैं, जिसके खिलाफ 2 आरोप-पत्र (मकोका लगाने के लिए एक आवश्यक शर्त) दाखिल किए गए हैं।

 

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