नई दिल्ली: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री आए दिन कुछ न कुछ विवादित बयान देते रहते हैं। भारत के खिलाफ उनके बयान सोशल मीडिया पर काफी वायरल भी होते हैं। अब उन्होंने एक बार फिर से भारत के प्रति जहर उगल दिया है। ख्वाजा आसिफ ने इस्लामाबाद में मीडिया के साथ बात करते हुए कहा कि यदि भारत पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध की घोषणा करेगा तो सऊदी अरब पाकिस्तान की रक्षा करेगा। आसिफ ने कहा कि इस हफ्ते पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच एक रणनीतिक समझौता हुआ है। इस समझौते में रणनीतिक पारस्परिक सहायता का प्रावधान भी शामिल है।
हमला हुआ तो मिलकर मुकाबला करेंगे
ख्वाजा आसिफ ने पाकिस्तानी चैनल के साथ बात करते हुए इस समझौते की तुलना नाटो समझौते के अनुच्छेद 5 से कर दी है। इसमें सामूहिक रक्षा का सिद्धांत भी शामिल है। ऐसे में इसका अर्थ है कि यदि किसी एक सदस्य पर हमला हुआ तो उसे देश के बाकी सदस्यों पर हमला भी माना जाएगा। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने साफ किया है कि सऊदी अरब के साथ समझौता आक्रामक नहीं बल्कि रक्षात्मक है। नाटो का उदाहरण देते हुए ख्वाजा आसिफ ने कहा कि यदि कोई हमला होता है फिर चाहे वो सऊदी अरब पर हो या पाकिस्तान पर हम मिलकर उसका मुकाबला करेंगे।
रॉयटर्स के अनुसार, ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि हमारा इरादा ये नहीं है कि इस समझौते का इस्तेमाल किसी भी आक्रमण के लिए किया जाए परंतु दोनों पक्षों यानी की पाकिस्तान और सऊदी अरब को खतरा है ऐसे में यह जाहिर है कि यह व्यवस्था लागू हो जाएगी।
सऊदी अरब कर सकता है पाकिस्तान के हथियार इस्तेमाल
ख्वाजा आसिफ ने आगे यह भी कहा है कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार सऊदी के लिए उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि इस समझौते के अंतर्गत हमारी क्षमताएं निश्चित तौर पर उपलब्ध होगी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि पाकिस्तान ने हमेशा अपनी परमाणु सुविधाओं के निरीक्षण की अनुमति दी है और कभी भी इसका उल्लंघन नहीं किया।
एक सीनियर सऊदी अधिकारी ने कहा कि गया इन समझौतों का अर्थ है कि पाकिस्तान अब परमाणु सुरक्षा देने के लिए बाध्य है। उन्होंने बताया कि यह एक व्यापक रक्षा समझौता है। इसमें सैन्य साधन भी शामिल हैं।
ख्वाजा आसिफ को भारत का जवाब
पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ की रियाद यात्रा के दौरान ख्वाजा मंत्री ने इस हस्ताक्षर पर साइन किए। भारत सरकार ने भी ख्वाजा आसिफ के इस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। भारत सरकार ने कहा कि पाकिस्तान सऊदी समझौता दोनों देशों में काफी लंबे समय से चल रही व्यवस्था को औपचारिक रुप देता है। भविष्य में इसका क्या अंजाम हो सकता है इस बात पर भी विचार किया जा रहा है। वहीं सैन्य और राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि ये समझौता रियाद के धन को इस्लामाबाद के परमाणु हथियारों के साथ जोड़ता है। यह दोनों देशों के लिए बड़ी सफलता होगी।