नई दिल्ली: अगर आप भी ऑनलाइन ऑर्डर खाना मंगवाते हैं और स्विगी, जौमेटो जैसे प्लेटफॉर्म इस्तेमाल करते हैं तो आपको अब मंहगा पड़ेगा। आने वाले त्योहारी सीजन में ऑनलाइन फूड की डिमांड में भारी इजाफा देखने को मिलेगा। बीते दिनों सरकार की ओर से जीएसटी काउंसिल की बैठक में ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स की डिलीवरी सर्विस पर 18% जीएसटी का ऐलान किया था। इसके बाद नुकसान की भरपाई के लिए पूरी कंपनियों ने टैक्स लागू होने से पहले ही ग्राहकों को झटका दिया है।
3 सितंबर को हुई जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में जीएसटी रिफॉर्म से जुड़े कई बड़े ऐलान किए हैं। इसमें शुरुआत से लागू 4 टैक्स स्लैब की जगह अब 5%-18% के सिर्फ दो टैक्स स्लैब ही रहे हैं। वहीं घरेलू इस्तेमाल से लेकर टीवी-एसी, कार बाइक्स समेत सारी चीजों के दाम घटाने की घोषणा भी की गई है। कुछ ऐसे सामान भी है जिन पर टैक्स का बोझ बढ़ाया गया है या नया टैक्स लगाया गया है। इसी बीच जीएसटी काउंसिल की ओर से ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स की डिलीवरी सर्विस पर 18% टैक्स लगाया गया है जो 22 सितंबर से लागू हो जाएगा।
बता दें कि इससे पहले ये सर्विस टैक्स के दायरे से बाहर ही थी जिसको अब cGST Act की धारा 9(5) के अंतर्गत शामिल किया गया है।
जीएसटी लागू होने से महंगा होगा ऑनलाइन फूड
सरकार के इस फैसले को लागू करने के लिए अभी 15 दिन का समय बाकी है लेकिन पीटीआई के मुताबिक, जोमैटो, स्विगी और मैजिकपिन जैसे ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्मों ने लगाए गए जीएसटी से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए अभी से प्लेटफॉर्म फीस में भी बढ़ोतरी कर दी है। इस बढ़ोतरी से अब देशभर के लाखों लोगों के लिए ऑनलाइन खाना ऑर्डर करना महंगा हो जाएगा। एक ओर जहां स्विगी ने अपनी प्लेटफॉर्म फीस की जीएसटी समेत 15 रुपये कर दिया है वहीं जोमैटो ने अपने चार्ज बढ़ाकर 12.50 रुपये कर दिया है। सिर्फ यही नहीं है बल्कि फूड डिलीवरी सेक्टर की एक और बड़ी कंपनी मैजिकपिन ने भी जीएसटी के बिजनेस पर पड़ने वाले व्यापक असर को देखते हुए अपनी प्लेटफॉर्म फीस पर 10 रुपये प्रति ऑर्डर करने का ऐलान किया है।
विश्लेषकों ने आकड़ों के साथ बताया है कि अप्रैल-जून तिमाही में जोमैटो ने 451 करोड़ रुपये और स्विगी के फूड डिलीवरी बिजनेस ने 192 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है परंतु अतिरिक्त जीएसटी देनदारी से मार्जिन पर दबाव पड़ने की संभावना है।