नई दिल्ली: इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार वेनेज़ुएला की प्रख्यात राजनीतिक नेता और लोकतंत्र की पैरोकार मारिया कोरीना मचाडो को प्रदान किया गया है। नोबेल समिति ने यह पुरस्कार उन्हें वेनेज़ुएला के नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों को मजबूत करने और तानाशाही शासन से शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक बदलाव के लिए उनके अटूट संघर्ष की मान्यता के रूप में दिया है।
जनता की आवाज़ बनीं मारिया कोरीना मचाडो
मारिया मचाडो लंबे समय से वेनेज़ुएला में लोकतंत्र की बहाली के लिए संघर्ष कर रही हैं। उन्होंने सरकारी दमन, पाबंदियों और धमकियों के बावजूद शांतिपूर्ण तरीक़े से लोगों के हक़ों के लिए आवाज़ उठाई। नोबेल समिति ने कहा कि मचाडो ने देश की जनता में *उम्मीद की एक नई चिंगारी* जलाई है।
डोनाल्ड ट्रंप नहीं जीत सके शांति पुरस्कार
इस बार कई अंतरराष्ट्रीय नामों में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम भी चर्चा में था, लेकिन नोबेल समिति ने उन्हें शांति पुरस्कार नहीं दिया। ट्रंप पहले भी कई बार इस पुरस्कार की दौड़ में रहे हैं, लेकिन इस बार वे चयन प्रक्रिया से बाहर रह गए।
नोबेल समिति का संदेश
ओस्लो में नोबेल समिति ने अपने बयान में कहा कि यह पुरस्कार उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है, जो बिना हिंसा के शांति और लोकतंत्र के लिए संघर्ष कर रहे हैं। समिति ने कहा कि मचाडो का संघर्ष यह साबित करता है कि असली ताकत बंदूकों में नहीं, बल्कि सच और साहस में होती है।