ऊना/सुशील पंडित: पंजाब की सीमा से सटे सनोली, मजारा, मलूकपुर व बीनेवाल पूना गांवों में पीएसीएल उद्योग से निकलने वाले कैमिकल युक्त पानी व वायु प्रदूषण से स्थानीय निवासियों को राहत मिलने की आस जगी है। राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने प्रभावित पक्ष की याचिका पर मामले में संज्ञान लिया है। एनजीटी ने मामले पर डीसी रोपड़, डीसी ऊना, पंजाब प्रदूषण बोर्ड की एक कमेटी गठित की है, जिसकी बैठक 31 मई को रोपड़ में होगी। इस बैठक से पहले 24 मई को दोपहर 12 बजे डीसी ऊना राघव शर्मा अधिकारियों के साथ बैठक कर मामले की समीक्षा करेंगे।
वहीं सतपाल सत्ती ने कहा कि सीमावर्ती गांवों की इस समस्या को समाप्त करने के लिए प्रदेश सरकार पुरज़ोर प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि समस्या के निपटारे के लिए पहले पंचायत स्तर पर बैठकें हुई, जिसके बाद इन गांवों का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर से भी शिमला में मिला। प्रदेश सरकार में ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ने स्वयं आकर इन गांवों का दौरा किया था और अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर को दी थी। जल शक्ति विभाग ने प्रभावित क्षेत्रों में सैंपल लिए और पाया कि उद्योग से निकलने वाले गंदे पानी से पीने के पानी के स्रोत प्रदूषित हो रहे हैं और किसानों की खेती योग्य भूमि भी खराब हो रही है।
सत्ती ने कहा कि पर्यावरण की दृष्टि से हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण और स्वच्छ राज्य है। प्रदेश के सीमांत गांवों को स्वच्छता को कायम रखने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।
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