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जिला ऊना में आयुर्वेदिक पद्धति से किया जा रहा प्रकृति परीक्षण: डॉ किरण शर्मा

ऊना/सुशील पंडित: आयुष पद्धति के अनुसार लोगों को खानपान, व्यायाम और चिकित्सा सलाह उपलब्ध कराने के लिए आयुष मंत्रालय प्रकृति परीक्षण अभियान शुरू कर रहा है।इस अभियान का पहला चरण 26 नवंबर से शुरू हो गया है । इसमें देशभर के एक करोड़ से अधिक लोगों का प्रकृति परीक्षण होगा। इसके बाद उन्हें आयुष पद्धति से उपचार की जानकारी दी जाएगी।

आयुष विभाग जिला ऊना के प्रमुख जिला आयुष अधिकारी डॉक्टर किरण शर्मा ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि किसी भी व्यक्ति की प्रकृति परीक्षण आयुर्वेद में वर्णित तीन दोषों बात, पित्त और कफ के अनुसार प्रकृति निश्चित की जाती है ।उन्होंने बताया कि पूरे जिले के आयुष चिकित्सा अधिकारियों के द्वारा रोजाना एक ऐप के माध्यम से यह प्रकृति प्रशिक्षण अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें लोगों को जांच कर उनसे कुछ प्रश्न पूछ कर उनके शारीरिक और मानसिक संबंधी कुछ प्रश्नों का उत्तर जानकर यह प्रकृति निश्चित की जाती है। इस प्रकृति निर्धारण के लिए व्यक्ति के पास एंड्रॉयड फोन होना आवश्यक है, और प्रकृति एप व्यक्ति को भी अपने फोन में डाउनलोड करनी होगी और इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि जब एक बार उस व्यक्ति की प्रकृति पता चल जाती है तो उसको अपने खान-पान और रहन-सहन से संबंधित क्या करना है क्या नहीं करना है इत्यादि सब विषयों पर विस्तार पूर्वक पता चल जाता है जोकि व्यक्ति को स्वास्थ्य रहने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करता है, साथ ही इस प्रकृति निर्धारण के उपरांत उस व्यक्ति को उसकी निर्धारित की गई प्रकृति से संबंधित सभी प्रकार के स्वास्थ्य वर्धक संदेश प्राप्त होना शुरू हो जाते हैं।

जिला आयुष अधिकारी डॉक्टर किरण शर्मा ने जिला के सभी लोगों से अपील की है कि अपनी प्रकृति निश्चित करवाने के लिए अपने नजदीकी आयुर्वेद स्वास्थ्य केंद्रों एवं आयुर्वेद अस्पतालों में जाकर आयुर्वेद चिकित्सक से अपनी प्रकृति निर्धारण करवा कर देश के प्रकृति प्रशिक्षण अभियान को सफल बनाएं।

डॉक्टर किरण शर्मा ने बताया की जिला आयुष विभाग में दो दिवसीय विशेष प्रशिक्षण रखा गया था। जिसमें सभी डॉक्टर्स को पैरा सर्जिकल परोज्सिसट जिसमें जलोका, रक्तमोक्षण, मर्म चिकित्सा, कपिंग और अग्निकर्म के बारे में जानकारी दी गई।अव जिला के सभी स्वास्थ केंद्रों नागरिक इस सुविधा का लाभ उठा सकते है। डॉक्टरों को प्रशिक्षण देने के लिए पपरोला से एक्सपर्ट टीम बुलाई गई थी जिसमें डॉ धीरज की भूमिका प्रमुख रही।

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