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राष्ट्र एक शरीर है और धर्म उसकी आत्मा हैं- महन्त राजगिरी महाराज

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माँ कामाक्षी धाम कमाही देवी मन्दिर में सनातन वैदिक राष्ट्र के निर्माण हेतु हुआ मंथन

ऊना/ सुशील पंडित:  माँ कामाक्षी धाम कमाही देवी में परम् पूजनीय महन्त स्वामी राजगिरी महाराज से मिलने अखिल भारतीय संत परिषद् के हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा के प्रभारी यति सत्यदेवानन्द सरस्वती महराज जी शिष्य श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज संतों के साथ मिलने पंहुचे। वहां उन्होंने सनातन वैदिक राष्ट्र और सनातनियों पर हो रहे अत्याचारों तथा पंजाब और देश के बिगड़ते माहौल पर चर्चा की जिसमें मां कामाक्षी धाम के महन्त स्वामी राजगिरी जी ने कहा कि हिन्दुओ को समझना चाहिये कि राष्ट्र एक शरीर है और धर्म उसकी आत्मा है।जैसे धर्मविहीन राष्ट्र मृत होता है वैसे ही राष्ट्रविहीन धर्म का भी कोई अस्तित्व नहीं होता।ये बात हर हिन्दू समझ ले कि सनातन वैदिक राष्ट्र के निर्माण के बिना अब सनातन धर्म का कोई भविष्य नहीं है।अगर हिन्दुओ की यह अंतिम शरणस्थली भी उनसे छीन गयी तो हिन्दुओ का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।अतः अब हिन्दुओ को यहूदियों से शिक्षा लेकर इजरायल की तरह अपना एक सनातन वैदिक राष्ट्र बनाना चाहिये जहाँ एक भी जिहादी ना हो और एक भी जिहाद का अड्डा ना हो।

उन्होने कहा कि वह मां कमाक्षी जी से हिन्दुओ को इस महान लक्ष्य के लिये सद्बुद्धि और सामर्थ्य देने की प्रार्थना अपनी हर साधना में करते हैं।*यति सत्यदेवानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता हमे बताती है कि धर्म और अधर्म की लड़ाई शाश्वत है परन्तु धर्म कभी भी अधर्म से पराजित नही हो सकता।दुष्ट राक्षस जब मानवता पर अत्याचार करते हैं तो वो परमपिता परमात्मा की सर्वव्यापी और सार्वभौमिक सत्ता को भूल जाते हैं और अपने स्वार्थ,क्रूरता और अहंकार के वशीभूत होकर महाविनाश को आमंत्रित करते हैं।इसीलिए सनातन के मानने वालों को अपने सब संशय त्याग कर धर्म की रक्षा के लिये सब कुछ बलिदान करने के लिये तैयार रहना ही चाहिए। अब समय केवल श्री मद भगवत गीता ज्ञान पर चलने का है। भगवान योगेश्वर श्री कृष्ण जी के आदेश को मानते हुए अपने धर्म पर चलना होगा।
भगवान श्री कृष्ण जी ने गीता जी में आदेश दिया है कि यज्ञदानतपः कर्म न त्याज्यं कार्यमेव तत् ।
यज्ञो दानं तपश्चैव पावनानि मनीषिणाम् ॥5॥
यज्ञ दान और तप नित्य रूप से करने को कहा गया है इसी को आधार मानकर सभी सनातनियों को यज्ञ के साथ जोड़ने का संकल्प लेते हुऐ कार्य करेंगे ।इस अवसर पर उनके साथ स्वामी मधेश्वर पाण्डेय महाराज जी, ठाकुर रमेश चन्द अन्य उपस्थित रहे

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