नई दिल्लीः रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख मुकेश अंबानी की सुरक्षा को और बढ़ा दिया गया है। गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक मुकेश अंबानी को अब Z प्लस कैटेगरी की सुरक्षा दे दी गई है। अब तक उन्हें Z कैटेगरी की सुरक्षा मिली हुई थी। इंटेलिजेंस ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक मुकेश अंबानी को खतरा है, जिसके बाद गृह मंत्रालय ने यह फैसला लिया है। पेमेंट बेसिस पर उनकी सुरक्षा को बढ़ाया गया है। मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के पास विस्फोटक मिलने के बाद उनकी सुरक्षा को मजबूत करने पर काफी दिनों से विचार चल रहा था।
58 कमांडो की सुरक्षा में रहेंगे उद्योगपति
सुरक्षा की येलो बुक के मुताबिक जिस वीवीआईपी को Z प्लस कैटेगरी की सुरक्षा दी जाती है, इनके चारों तरफ कड़ा सुरक्षा का पहरा होता है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 58 कमांडो Z+ कैटेगरी की सुरक्षा में तैनात होते हैं। इसके अलावा 10 आर्म्ड स्टैटिक गॉर्ड, 6 PSO, 24 जवान 2 एस्कॉर्ट में राउंड द क्लॉक, 5 वॉचर्स दो शिफ्ट में रहते हैं, एक इंस्पेक्टर या सब इंस्पेक्टर इंचार्ज के तौर पर तैनात रहता है। वीआईपी के घर आने-जाने वाले लोगों के लिए 6 फ्रीस्किंग और स्क्रीनिंग करने वाले तैनात रहते हैं। इसके साथ ही राउंड द क्लॉक ट्रेंड 6 ड्राइवर होते हैं।
अंबानी की सुरक्षा हटाने के खिलाफ दाखिल हुई थी याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने 22 जुलाई को केंद्र सरकार को मुकेश अंबानी और उनके परिवार के सदस्यों को मुंबई में सुरक्षा कवर जारी रखने की अनुमति दिया था। इसके अलावा कोर्ट ने मुकेश अंबानी और उनके परिवार को सुरक्षा देने के खिलाफ त्रिपुरा हाई कोर्ट में दाखिल याचीका को खारिज करने का आदेश दे दिया था।
उद्योगपति मुकेश अंबानी और उनके परिवार के सदस्यों को मुंबई में सुरक्षा कवर देने को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को त्रिपुरा हाई कोर्ट में चुनोती दी गई थी, जिसमें हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को गृह मंत्रालय के पास रखी और मूल फाइल पेश करने का निर्देश दिया था। जिसके आधार पर अंबानी परिवार को सुरक्षा दी गई थी। इसके खिलाफ केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचीका दाखिल की थी। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और जस्टिस कृष्ण मुरारी और हेमा कोहली की पीठ ने अंबानी की सुरक्षा को चुनौती देने वाली त्रिपुरा हाई कोर्ट के समक्ष लंबित जनहित याचिका पर कार्यवाही को रद्द कर दिया।
हाईकोर्ट के आदेश को शीर्ष अदालत में दी थी चुनौती
केंद्र ने अंबानी परिवार के सुरक्षा ब्योरे की मांग करने वाले हाई कोर्ट के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया था कि उच्च न्यायालय ने मुंबई में अंबानी को सुरक्षा मुहैया कराने के आधार पर खतरे की आशंका का ब्योरा मांगा था। सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि मुंबई में एक परिवार को दी गई सुरक्षा का त्रिपुरा सरकार से कोई लेना-देना नहीं है और उच्च न्यायालय के पास जनहित याचिका पर विचार करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। केंद्र सरकार ने उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी जिसमें सरकार से कहा गया था कि वह अंबानी परिवार की धमकी की धारणा और उसके द्वारा तैयार की गई आकलन रिपोर्ट के संबंध में गृह मंत्रालय (एमएचए) की ओर से रखी गई मूल फाइल को रखे।
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