चंबाः हिमाचल प्रदेश में आठ वर्ष के दौरान (2018 से लेकर अब तक) बादल फटने की 148 घटनाएं हो चुकी हैं। इसके अलावा 294 बार अचानक बाढ़ आने और भूस्खलन की 5 हजार से अधिक की घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं। कुल्लू, लाहुल स्पीति, किन्नौर और मंडी जिले प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से अति संवेदनशील हैं। यह जानकारी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर गठित बहु-क्षेत्रीय केंद्रीय टीम (एमएससीटी) के साथ बैठक के दौरान विशेष सचिव राजस्व (आपदा प्रबंधन) डीसी राणा ने अपनी प्रस्तुति में दी।
वहीं आज चंबा के चुराह मंडल के चांजू कठवाड रोड पर सुबह भूस्खलन होने से सड़क पूरी तरह अवरुद्ध हो गई है। इस घटना के कारण वाहनों की आवाजाही पूरी तरह बंद हो गई है। सुबह का समय होने के कारण घटना के समय सड़क पर लोगों और वाहनों की आवाजाही नहीं थी, जिससे कोई हताहत नहीं हुआ। भूस्खलन के कारण बढ़ाईगढ़ चांजू, चरडा, देहरा और बघेईगड पंचायतों का बाहरी दुनिया से संपर्क टूट गया है। लोक निर्माण विभाग ने सड़क को बहाल करने के लिए मशीनरी भेज दी है। उम्मीद है कि जल्द ही सड़क वाहनों की आवाजाही के लिए खोल दी जाएगी।
चुराह में पिछले दिनों हुई भारी बारिश के कारण कई स्थानों पर भूस्खलन की घटनाएं सामने आई हैं। इसके चलते तीन पुल पानी में बह गए हैं और किसानों के कई खेत भी नष्ट हो गए हैं। कुछ दिन पहले नाले में बादल फटने से लोक निर्माण विभाग का नवनिर्मित पुल भी बह गया था। इस पुल की लागत 2 करोड़ रुपए से अधिक थी। पुल के बह जाने से भी इन्हीं पंचायतों का संपर्क कट गया था। हालांकि, विभाग ने अस्थाई रास्ता बनाकर लोगों को राहत प्रदान की थी। लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता जोगेंद्र शर्मा ने बताया कि आज सुबह चांजू चरडा रोड पर भूस्खलन के कारण सड़क बंद हो गई है। उन्होंने कहा कि सड़क को खोलने के लिए मशीनरी भेज दी गई है।