Engineer & Building Association के प्रधान कत्याल की अहम भूमिका आई सामने
चंडीगढ़: मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व मे भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के संबंध में पंजाब सरकार के दृढ़ संकल्प के अनुरूप विजिलेंस ने आज विधायक रमन अरोड़ा को गिरफ्तार कर लिया है। विधायक की गिरफ्तारी नगर निगम के एक निश्चित अधिकारी के साथ मिलीभगत कर भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोप मे हुई है।
जानकारी देते हुए विजीलेंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि 14 मई 2025 को ब्यूरो को इंजीनियर्स एंड बिल्डिंग डिजाइनर एसोसिएशन जालंधर के तीन पदाधिकारियों द्वारा हस्ताक्षरित एक संयुक्त शिकायत प्राप्त हुई थी। जिसमें आरोप लगाया गया था कि एटीपी सुखदेव वशिष्ट अवैध रिश्वत की मांग करता है। जब भी वह अपने अधिकार क्षेत्र में जाता है, तो लोगों को धमकी देता है कि उनकी इमारतों को सील कर गिरा दिया जाएगा। एसोसिएशन ने यह भी आरोप लगाया गया था कि उसके पास कई फाइलें लंबित रहती हैं, भले ही उन्हें नगर निगम के अन्य विंगों द्वारा मंजूरी दे दी गई हो।
शिकायत की जांच के बाद विजीलेंस ब्यूरो जालंधर रेंज ने इंजीनियर सुनील कत्याल अध्यक्ष इंजीनियर्स एंड बिल्डिंग डिजाइनर एसोसिएशन जालंधर की शिकायत पर एटीपी विशिष्ट के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत एफआईआर नंबर 23, तारीख 14/05/2025 दर्ज की है। विजीलैंस ब्यूरो ने 14/05/2025 को ही उपरोक्त आरोपी सुखदेव वशिष्ठ को गिरफ्तार कर लिया था और अपनी जांच आगे बढ़ाई थी।
जांच के दौरान पता चला कि आरोपी सुखदेव वशिष्ठ पठानकोट में सीनियर ड्राफ्ट्समैन के पद पर तैनात था, लेकिन उसके पास एटीपी जालंधर एमसी का अतिरिक्त प्रभार भी था। आरोपी अप्रैल 2022 से अब तक बीच-बीच में छोटे-छोटे अंतराल के साथ लगातार जालंधर में तैनात रहा था। गिरफ्तार एटीपी सुखदेव वशिष्ठ के कार्यालय परिसर और आवास की तलाशी के दौरान अन्य आपत्तिजनक दस्तावेजों और भौतिक साक्ष्यों के अलावा उसके निजी कब्जे और कार्यालय रिकॉर्ड से अनधिकृत निर्माण और संबंधित मामलों के सैकड़ों आधिकारिक नोटिस बरामद किए गए।
इनमें से कुछ नोटिस डिस्पैच रजिस्टर में दर्ज नहीं पाए गए। बिना किसी कारण के बहुत लंबे समय तक कार्रवाई के बिना लंबित अन्य दस्तावेज भी बरामद किए गए। जांच में पता चला है कि गिरफ्तार अधिकारी द्वारा स्थानीय राजनेता के साथ मिलकर शहर के लोगों से पैसे ऐंठने और भ्रष्टाचार में लिप्त होने के लिए एक अनोखी कार्यप्रणाली अपनाई जा रही थी।
गिरफ्तार एटीपी विधायक रमन अरोड़ा के कहने पर और उनके परामर्श से निर्मित या निर्माणाधीन इमारतों चाहे वे वाणिज्यिक हों या आवासीय की पहचान करता था और कथित उल्लंघनों के लिए उन्हें नोटिस देता था।
जब बिल्डिंगों के मालिक या उनके प्रतिनिधि संबंधित अधिकारी से संपर्क करते थे, तो वह उन्हें उक्त विधायक के पास भेज देता था। उसके बाद उक्त विधायक अवैध रिश्वत लेकर मामले को सुलझा लेता था। उक्त विधायक से सकारात्मक संदेश मिलने पर आरोपी एटीपी द्वारा फाइलें अपने पास रख ली जाती थीं और कोई कार्रवाई शुरू नहीं की जाती थी।
उक्त सांठगांठ से संबंधित ऐसे करीब 75-80 नोटिस बरामद किए गए हैं। अन्य फाइलों को निपटाने में भी यही कार्यप्रणाली अपनाई जाती थी। ब्यूरो और स्थानीय निकाय विभाग की तकनीकी टीमों के माध्यम से प्रत्येक नोटिस और अन्य दस्तावेजों का विस्तृत भौतिक और दस्तावेजी सत्यापन किया जा रहा है और कई कमियां सामने आई हैं।