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मेरी माटी मेरा देश जनसम्पर्क का पर्याय: कंवर

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शहीद केसरी दास की धर्मपत्नी ने अमृत कलश में माटी का किया योगदान

ऊना/सुशील पंडित : भाजपा कुटलैहड़ मंडल द्वारा “मेरी माटी मेरा देश कार्यक्रम” का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मंडल अध्यक्ष चरनजीत शर्मा द्वारा की गई, इसमें प्रदेश सचिव संसदीय क्षेत्र सह प्रभारी सुमीत शर्मा विशेष रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम ग्रामकेन्द्र चताड़ा के तीन बूथ के पन्ना समिति संग चलाया गया और बूथ पर प्रत्येक घर मे हर घर पर दस्तक का आह्वान किया गया।कुटलैहड़ मण्डल में इस कार्यक्रम के लिए प्रदेश उपाध्यक्ष व पूर्व मंत्री वीरेंद्र कंवर प्रत्येक ग्रामकेन्द्र पर जाकर शुरू कर रहें हैं। वीरेंद्र ने कहा की यह कार्यक्रम पूरे देश भर में तीन चरणों मे चलाया जा रहा है। तीसरे व अंतिम चरण में 31 अक्टूबर को प्रधानमंत्री मोदी 7500 कार्यकर्त्ताओं संग बूथ स्तर के कार्यकर्त्ताओं को सम्बोधित कर इस इकठ्ठी माटी से दिल्ली में अमृतवन बनाने की योजना की विस्तृत जानकारी देंगे।
कंवर ने कहा की देश के अमृतकाल में माटी का वंदन अभियान सार्थक एवं नितांत आवश्यक प्रतीत होता है। उन्होंने कहा कि हमारा यह मानना है कि यह अभियान मात्र अभियान नहीं है, जन जागरण है। भारत के इतिहास पर हम जब दृष्टिपात करते हैं तो इस धरती माता की रक्षा के लिए हर काल में लाखों-लाखों लोगों ने अपना बलिदान दिया। तब जाकर भारत माता आज एक हजार साल की गुलामी के बाद भी भारतीय संसकृति को समेटे हुए जीवंत है। भारत वो देश है जहां बलिदानियों की पूजा हुई है। जहां इस धरती माता के लिए मर मिटने वालों के लिए सदा-सदा मेले लगते हैं और इस धरती का उपभोग करने वालों को भारत का समाज कभी श्रद्धा की दृष्टि से नहीं देखता। महाराणा प्रताप आज इसलिए पूजनीय है क्योंकि उन्होनें गुलामी को स्वीकार नहीं किया और भारत माता की रक्षा के लिए सर्वस्व न्योछावर किया। गुरू गोविन्द सिंह जी महाराज इसलिए पूजनीय हैं कि उन्होनें धर्म की रक्षा हेतु विश्व का सबसे बड़ा बलिदान पिता का बलिदान, स्वयं का बलिदान, चारों पुत्रों का बलिदान के रूप में दिया।
सरदार भगत सिंह, राजगुरू, चंद्रशेखर आजाद, अशफाक उल्ला खां, स्वतंत्र वीर सावरकर, नेता जी सुभाष चंद्र बोस, लाला लाजपतराय, रानी लक्ष्मीबाई, तांत्या टोपे, कृष्णदेव राय, छत्रसाल, बिरसा मुंडा भगवान जैसे हजारों बलिदानियों के नाम लिए जा सकते हैं जिन्होनें इस माटी की सौगंध खाकर अपना सर्वस्व न्योछावर करते हुए देश की रक्षा की।इसी कड़ी में बूथ न 70 से शहीद केसरी दास की धर्मपत्नी कैलाश रानी ने अमृत वन के लिए अपने घर से मिट्टी कलश में अर्पित की इन बलिदानियों से सीख लेते आज देश की नौजवान पीढी भी भारत की सीमाओं की रक्षा करते हुए बलिदान को सहर्ष स्वीकार कर माँ भारती के लिए प्राण आहूत करने से पीछे नहीं हैं।इस मौके पर मण्डल महामन्त्री रमेश शर्मा, गुरबचन चौधरी, ज़िला कोषाध्यक्ष,मंगल सिंह ज़िला कार्यकारिणी सदस्य अमृत भारद्वाज, कै कुलवंत, सतपाल, रामपाल ,चमन लाल, दीपक, बख्शीश, शक्ति सिंह, हंसराज,त्रिशला, कुसुम देवी, मण्डल मीडिया सहप्रभारी विजय सिंह फौजी इत्यादि उपस्थित रहे।

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