पंचकूला: हरियाणा कारगार के महानिदेशक आलोक राय ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में अहम जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अब हरियाणा के करीबन 20 जिलों में मेजरमेंट कलेक्शन यूनिट बनाए जाएंगे। मेजरमेंट कलेक्शन यूनिट से दोषी और गिरफ्तार व्यक्तियों से बायोमैट्रिक और जैविक डेटा जैसे उंगलियों के निशान, फेस आईडी, डीएनए नमूने और रेटिना स्कैन शामिल होगा।
आलोक राय ने कहा कि मेजरमेंट कलेक्शन यूनिट में अपराधियों का यूनिक आइडेंटिफिकेशन, रेटिना स्कैन किया जाएगा। जेल में बंद अपराधियों की पहचान को पांरपरिक तरीकों के साथ आगे बढ़ाकर उन पर नजर रखने, ट्रैकिंग के लिए और ज्यादा उन्नत, प्रौद्योगिकी संचालित प्रणाली की और बढ़ते हुए जल्द ही प्रदेश के 20 जिलों में मेजरमेंट कलेक्शन यूनिट स्थापित किए जाएंगे।
इसके अलावा फिंगर एनरोल्ड डिवाइसेज भी स्थापित किए जाएंगे। एमसीयू में दोषी और गिरफ्तार व्यक्तियों से बायोमेट्रिक और जैविक डाटा जैसे उंगलियों के निशान, फेस आईडी, डीएनए नमूने और रेटिना का स्कैन शामिल है। दंड प्रक्रिया अधिनियम 2022 के अंतर्गत कार्यान्वित एमसीयू अपराधियों की पहचान को पांरपरिक तरीकों से आगे बढ़ाकर अपराधियों पर नजर रखने और उनका पता लगाने के लिए एक खास डेटाबेस तैयार करेगा। इससे अपराधियों की पहचान और ट्रैकिंग की क्षमता बढ़ेगी।
महानिदेशक आलोक राय ने बताया कि एमसीयू पहचान के पुराने सीमित तरीकों से हटकर एक अधिक उन्नत, प्रौद्योगिकी संचालित प्रणाली की ओर अग्रसर कानून प्रवर्तन एजेंसियों को आपराधिक गतिविधियों में शामिल करके व्यक्ति का पता लगाने और उन पर नजर रखने के लिए अच्छे उपकरण देगा। ये डेटा स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के पास रहेगा। क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो इसको राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) अधिनियम और इसके प्रावधानों के कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी के साथ शेयर करेगा।
इकट्ठी की गई जानकारी 75 वर्षों तक रखी जा सकती है इससे अब व्यक्ति अपना रुप बदलकर न्याय से नहीं बच पाएंगे। एमसीयू यूनिट की ओर से अपराधियों के फिंगर प्रिंट्स और रेटिना का स्कैन भी किया जाएगा। ये सभी डाटा नेशनल ऑटोमेटिक फिंगरप्रिंट्स इन्फोर्मेशन सिस्टम (नैफिस) में अपलोड होगा। नैफिस में पूरे देश के अपराधियों, बंधियो समेत बाकी संदिग्धों का डेटा इकट्ठा किया जाता है।
यह व्यवस्था अपराधियों और संग्निग्ध का यूनिक डाटा विस्तृत विवरण के साथ उपलब्ध होंगे। इसके साथ ही डाटा लंबे समय तक एकत्रित रहेगा जिससे आपराधिक न्याय प्रक्रिया में उनकी पहचान और गतिविधियों को ट्रैक करने में प्रभावी साबित होगी।