नई दिल्लीः यूरोपीय देशों में से पुर्तगाल में भारतीय सहित अन्य विदेशियों पर सकंट के बादल छा गए है। दरअसल, अमेरिका के बाद पुर्तगाल में विदेशियों को देश से निकालने की तैयारी चल रही है। जिसमें लगभग 14,000 भारतीय भी शामिल हैं। जिसके चलते संसद के सामने बड़े स्तर पर लोगों द्वारा रोष प्रदर्शन किया गया। दरअसल, लोगों का कहना है कि पुर्तगाल में 2 महीने पहले बनी सरकार भी अमेरिकी राष्ट्रपति की आव्रजन नीतियों को अपनाकर विदेशियों को देश से बाहर करने की कोशिश कर रही है। आज विभिन्न देशों के इमिग्रेंट्स लिस्बन संसद के बाहर एकत्र हुए।
जहां भारी भीड़ लगाते हुए उन्होंने पुर्तगाल सरकार के खिलाफ भड़ास निकाली। उन्होंने कहा कि नए लागू नियमों अनुसार जिसमें एक संख्या के भीतर पुर्तगाल में रह रहे लोगों को निकालने की साजिश की जा रही है, उसे गलत बताया है। उन्होंने कहा कि हम अपने हकों की लड़ाई लड़ने के लिए इस जगह पहुंचे हैं और तब तक यह लड़ाई जारी रखेंगे जब तक कोई समाधान नहीं हो जाता। उन्होंने कहा कि सरकारों को भी यह ध्यान रखना चाहिए कि हम गैरकानूनी तरीके से पुर्तगाल में नहीं रह रहे हैं, बल्कि विधिक तरीके से रहने और सरकार की सभी सेवाएँ लेने के साथ-साथ टैक्स भी चुका रहे हैं।
इस मुद्दे को उठाने में कुलविंदर सिंह फ्रांस, यादविंदर सिंह, अमरीक सिंह स्पेन और निज़ा हुंदल की ओर से विदेशियों को होका दिया गया है कि अपने हकों के लिए डट कर खड़ा होना चाहिए ताकि सरकार को अपने फैसले को बदलना पड़े। उल्लेखनीय है कि पुर्तगाल से निकाले गए विभिन्न देशों के संबंधित विदेशियों की संख्या लगभग 4 लाख बताई जा रही है, जिन्हें वहां की नई सरकार ने हिरासत में लेने के आदेश जारी किए हैं। पंजाब के कई जिलों से युवा पुर्तगाल में रह रहे हैं और पिछले 5-6 साल से सरकार को टैक्स दे रहे हैं। वे सभी कानूनन वहां रह रहे हैं और सरकार की मेडिकल सुविधाओं का भी लाभ ले रहे हैं। इसके बाबजूद नई सरकार उन्हें जबरदस्ती वहां से निकालना चाहती है।
बताया जा रहा है कि कई लोगों को तो पुर्तगाल सरकार ने जेल में भी बंद कर दिया है, जिनमें 10-12 भारतीय भी शामिल हैं। पुरानी इमिग्रेशन कानून 88 एवं 89 के अनुसार, यदि कोई गैर-पुर्तगाली यहां आकर कानून के अनुसार परमिट ले लेता है, तो वह वहां रह सकता है। वहां का कानून है कि कोई भी विदेशी वहां आए और सभी कानूनों का पालन करे, तो उसे 90 दिनों के भीतर ही बताया जाता है कि वह वहां रह सकता है या नहीं। पीड़ितों ने प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री से मदद की अपील की है। पुर्तगाल में डिपोर्ट होने वाले भारतीयों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर को ईमेल के जरिए पत्र भेजकर इस समस्या को पुर्तगाल सरकार के सामने उठाने का प्रयास किया है।