धर्म: बिहार को बौद्ध धर्म की कर्मभूमि कहते हैं। बोधगया में भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था और यहीं से उनके धर्म प्रचार की शुरुआत हुई थी। इतिहासकारों की मानें तो उस दौरा में यह इलाका मगध सम्राज्य का हिस्सा था। ऐसे में शिक्षा और संस्कृति का भी यह एक बड़ा केंद्र था। आज के समय में भी बोधगया का महाबोधि मंदिर और बोधि वृक्ष पूरी दुनिया भर के बौद्ध श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रमुख स्थान है। हर साल हजारों लोग यहां पर पहुंचकर भगवान बुद्ध से जुड़ा इतिहास और आध्यात्मिक शांति का अनुभव करते हैं। इसी कारण से बिहार को बौद्ध धर्म की धरोहर माना जाता है।
बौद्ध धर्म का जन्मस्थान कहलाता है बोधगया
बिहार का बोधगया बौद्ध धर्म का सबसे पवित्र तीर्थस्थान माना जाता है। गया जिले में स्थित महाबोधि मंदिर को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है। आज भी वहां पर करोड़ों श्रद्धालु और पर्यटको दर्शन के लिए जाते हैं। मान्यता यह है कि करीबन 25,000 साल पहले यहां बोधिवृक्ष के नीचे राजकुमार सिद्धार्थ गौतम ने गहन साधना के जरिए ज्ञान की प्राप्ति की थी और बुद्ध बने। मंदिर परिसर में स्थित बोधवृक्ष आज भी बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए आस्था का केंद्र माना जाता है। खासकर इसी कारण बोधगया को बौद्ध धर्म का जन्मस्थान कहते हैं।
मगध में धर्म और शिक्षा का केंद्र
बिहार का मग्ध क्षेत्र भी भगवान बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति के बाद बौद्ध धर्म का मुख्य केंद्र बना था। सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद में यहीं से धर्म के प्रसार की शुरुआत की थी और इसको अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया। नालंदा और विक्रमशीला विश्वविद्यालयों ने मगध को शिक्षा का केंद्र बनाया और जहां पर एशिया और दुनिया के कई देशों से बच्चे पढ़ाई के लिए आते थे। इस संस्थानों ने ही बौद्ध दर्शन, साहित्य और संस्कृति को एक नई ऊंचाई दी थी। आज भी इनका अवशेष बिहार की गौरवशाली विरासत और बौद्ध धर्म की शक्ति का प्रतीक माने जाते हैं।
महिलाओं को संघ में प्रवेश की मिली थी अनुमति
बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार पूरी दुनिया में बिहार से ही शुरु हुआ था। भगवान बुद्ध ने यही से अपने प्रथम शिष्यों को शिक्षा दी और धर्म चक्र प्रवर्तन की शुरुआत की थी। राजगीर, वैशाली और पावापुरी जैसे स्थान इसी ऐतिहासिक यात्रा के साक्षी थे। वैशाली में बुद्ध ने महिलाओं को संघ में प्रवेश करने की अनुमति दी थी। यह पहल समाज सुधार के लिए अहम मानी जाती है। बिहार से उठी यह शिक्षा सीमाओं को पार करके नेपाल, श्रीलंका, तिब्बत, चीन, जापान और दक्षिण-पूर्व एशिया तक पहुंची। ऐसे में आज भी ये स्थान बौद्ध धर्म की आस्था और ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक माने जाते हैं।
बौद्ध संस्कृति की धरोहर है बिहार
बिहार आज भी बौद्ध धर्म का मुख्य केंद्र माना जाता है। बोधगया, राजगीर, वैशाली और नालंदा धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत ही जरुरी माने जाते हैं। बोधगया अंतरराष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन और ध्यान शिविरों के लिए भी पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। राजगीर और वेशाली अपनी प्राचीन बौद्ध स्थानों के लिए श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। वहीं नालंदा यूनिवर्सिटी की विरासत अब भी शोध और पर्यटन का मुख्य केंद्र मानी जाती है।