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Himachal News: प्रधानमंत्री के दौरे के पहले कांगड़ा पहुंचे नेता प्रतिपक्ष, तैयारियों की समीक्षा की

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मुसीबत में हिमाचल का साथ देने के लिए प्रधानमंत्री का आभार: जय राम ठाकुर

आपदा ने हिमाचल की आमदनी और आर्थिकी को भी पहुंचाया नुकसान

केंद्र द्वारा दिए गए 5 हजार करोड़ की धनराशि आपदा प्रभावितों तक पहुंचाएं मुख्यमंत्री 

ऊना/धर्मशाला/सुशील पंडित: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हिमाचल दौरे के पहले जयराम ठाकुर कांगड़ा पहुंचे और तैयारियों की समीक्षा की। पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में नेता प्रतिपक्ष ने हिमाचल प्रदेश आकर आपदा प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हमारी मुसीबत के समय हमारे बीच आकर, हमारे साथ खड़े होने और हमारा दुःख बांटने के लिए पूरे हिमाचल प्रदेश की तरफ से प्रधानमंत्री के आभारी हैं। जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री को हिमाचल में हुए नुकसान के बारे में अवगत कराएंगे। जिससे हिमाचल प्रदेश को ज्यादा से ज्यादा मदद हो सके। उन्होंने आपदा के समय राहत और बचाव कार्य के लिए एनडीआरफ, सेना, वायु सेना के जवानों को उपलब्ध कराने के लिए भी प्रधानमंत्री का आभार जाता है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस बार की आपदा ने हमें न भरने वाले जख्म दिए हैं। सितंबर के महीने में मानसून की वापसी होती है लेकिन इस बार अभी तक भारी बारिश भूस्खलन और बादल फटने की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। जिसकी वजह से हिमाचल प्रदेश को जनधन की भारी हानि हो रही है। यह घटनाएं बार-बार हो रही है, इसके कारण जानने और उसी के हिसाब से निवारण की योजनाएं बनाने की आवश्यकता है। इसको हमने पहले भी केंद्र के समक्ष उठाया था। आपदाओं के अध्ययन के लिए गृह मंत्री द्वारा मल्टी सेक्ट्रल टीमें भी बनाई गई हैं। जिसमें विभिन्न विभागों से संबंधित विषय विशेषज्ञ शामिल थे।

जयराम ठाकुर ने कहा कि 30 जून की रात जब मानसून की शुरुआत थी तब भी मंडी जिला में भारी तबाही हुई। एक ही दिन में 42 लोगों की जिंदगी चली गई और हजारों लोग बेघर हो गए। अब सितंबर के महीने में भी प्रदेश के कोने–कोने से तबाही की तस्वीरें आ रही है। मणिमहेश यात्रा में 15000 से ज्यादा लोग बारिश की वजह से फंसे रहे। हजारों की संख्या में लोगों को सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू किया गया। पर्यटन के लिहाज पर जो क्षेत्र बेहतर माने जाते थे वहां तबाही की वजह से वहां कारोबार पूरी तरीके से ठप है। आपदा की हृदय विचलित करने वाली तस्वीरें देख पर्यटक भी हिमाचल से किनारा कर रहे हैं। जिसकी वजह से पूरे प्रदेश और पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों की आर्थिकी की प्रभावित हो रही है। आपदा की वजह से एक तरफ से प्रदेश को हजारों करोड़ के इंफ्रास्ट्रक्चर का नुकसान हो रहा है तो दूसरी तरफ आय के साधन भी बंद हो रहे हैं।

जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के लोगों की आय का एक बड़ा साधन बागवानी और कृषि के उत्पाद हैं। लोगों के सब पूरी तरीके से तैयार हैं और तोड़ कर उन्हें बाजार भेजा जाना आवश्यक है। लेकिन सड़कें बंद हैं। गाड़ियां चल नहीं सकती। इसलिए लोग अपना सेब बाजार तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं। गोदामों और गाड़ियों में लोगों के सेब सड़ रहे हैं। हजारों करोड़ों रुपए के सेब की आर्थिकी पूरी तरीके से तबाही के कगार पर खड़ी है। सरकार को जल्दी से जल्दी सड़के बहाल करनी होगी नहीं तो करोड़ों का सेब क्षेत्र में बर्बाद हो जाएगा। त्रासदी का दंश झेल रहे बागवानों के लिए यह दोहरी मार होगी। इसी तरीके से आपदा प्रभावित क्षेत्र में सब्जियां भी बाजार जाने के अभाव में सड़ रही हैं और किसानों को हर दिन करोड़ों  रुपए का नुकसान हो रहा है।

जयराम ठाकुर ने कहा कि आपदा के समय तत्कालीन राहत का काम प्रदेश सरकार का है। लेकिन प्रदेश सरकार राहत के नाम पर सिर्फ खाना पूर्ति कर रही है। आपदा के समय सरकार को राहत पहुंचानी चाहिए लेकिन कांग्रेस सरकार राजनीतिक बयान बाजी कर रही है। जिन जगहों पर युद्ध स्तर पर काम किया जाना चाहिए वहां पर सरकार सिर्फ नाम मात्र का काम कर रही है। इसकी वजह से लोगों के कृषि और बागवानी के उत्पाद बर्बाद हो रहे थे। जो सड़कें दो मशीनों द्वारा एक-दो दिन में खोली जा सकती हैं वह डेढ़- डेढ़ महीने तक बंद पड़ी रही। चंदा लगाकर लोगों ने अपनी सड़कें खुलवाई। केंद्र सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश को आपदा राहत के लिए विभिन्न मदों में 5150 करोड रुपए की आर्थिक सहायता दी गई है। अभी विधानसभा सत्र के दौरान हमें यह पता चला कि सरकार ने आपदा प्रभावितों को मात्र 300 करोड़ रुपए की दिए हैं। सरकार की इन्हीं क्रियाकलापों से यह समझ जा सकता है कि आपदा प्रभावितों की मदद को लेकर यह सरकार कितनी गंभीर है

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