धर्म: इस साल पितृ पक्ष की समाप्ति के साथ सूर्य ग्रहण भी लग रहा है। 21 सितंबर को सर्व पितृ अमावस्या पड़ रही है। इस दिन सभी पितरों को श्रद्धांजलि दी जाएगी परंतु इस दिन ग्रहण का साया भी मंडरा रहा है। सूर्य ग्रहण भारतीय समय के अनुसार, रात 10:59 से लेकर देर रात 3:23 तक रहेगा। यह ग्रहण रात में लग रहा है इसलिए भारत में नजर नहीं आएगा और न ही यहां पर इसका सूतक काल मान्य होगा।
श्राद्ध कर्म पर नहीं होगा ग्रहण का असर
भारत में ग्रहण नहीं लगेगा तो इसका अर्थ है कि सर्व पितृ अमावस्या पर भारत में श्राद्ध कर्म करने वालों पर भी ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं होगा। सूतक न होने के कारण आप सारा दिन अमावस्या से जुड़े हुए धर्म-कर्म के काम कर सकते हैं।
इस दिन श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के लिए सुबह 11:50 से लेकर दोपहर 1:27 तक का मुहूर्त रहेगा। इस दौरान आप पूर्वजों की बिना रुकावट के पूजा कर सकते हैं। ब्राह्राणों को भोजन करवा सकते हैं। दोपहर के समय के स्वामी पितर माने जाते हैं। ऐसे में गाय के गोबर से बने हुए कंडे जलाएं और पितरों का ध्यान करते हुए अंगारों पर गुड़-घी अर्पित करें। इसके बात हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों की तर्पण दें।
पीपल की करें पूजा
अमावस्या वाले दिन शाम को पीपल के पेड़ की पूजा जरुर करें। इसके नीचे सरसों के तेल का दीया जलाएं और सरोवर में दीपदान करें। इससे पितरों को अपने लोक में लौटने में आसानी होगी।
इसलिए खास है सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध
गरुड़ पुराण की मानें तो अमावस्या तिथि श्राद्ध परिवार के उन पूर्वजों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु अमावस्या, पूर्णिमा और चतुर्दशी तिथि वाले दिन हुई हो। यदि कोई सभी तिथियों पर श्राद्ध न कर पाए तो वह अमावस्या तिथि पर श्राद्ध कर सकता है। यह श्राद्ध परिवार के पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए बेहद जरुरी माना जाता है।