ईएसआईसी के महानिदेशक को लिखा पत्र, शीघ्र सुनवाई न होने से आंदोलन होगा शुरू
बद्दी/सचिन बैंसल: आईआईसी अस्पताल काठा में मजूदरों को स्वास्थ्य सेवाएं न मिलने पर कामगरों में रोष व्याप्त है। यहां से मरीजों को केवल रैफर किया जाता है। यहां पर रखी मशीने खराब पड़ी है। कामगार रोगियों को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है। भारतीय मजदूर के मंडल अध्यक्ष ने निगम के महानिदेशक को पत्र लिखा है।
पत्र के माध्यम से मंडल अध्यक्ष शिवम चंदेल ने बताया कि मजदूरों का मासिक वेतन से चन्दा काटकर ई. एस. आई में जमा होता है। लेकिन जब पंजीकृत मजदूर या उसके परिजन बीमार होते हैं तो वे ई. एस. आई. डिस्पेन्सरी, अस्पताल आदि से अपना सम्पूर्ण मुफ्त इलाज कराने के हकदार होते हैं। लेकिन ईएसआई मॉडल ह एक मात्र रेफरल डिस्पेन्शरी के कार्य के अतिरिक्त कुछ भी नहीं कर रहा है तो सरकार गरीब मजदूरों के वेतन से कटे खून पसीने की कमाई को इस अस्पताल के मैनेजमेन्ट पर क्यूँ खर्च कर रही है। इस अस्पताल में अल्ट्रासाउण्ड भी नहीं होते और हड्डियों की टूट-फूट के लिए आनलाइन एक्सरे मशीन भी 8-10 महीनों से बन्द पड़ी है। जब से यह अस्पताल शुरू हुआ है तब से आज तक इस अस्पताल में लाखों रूपये से निर्मित एचडीयू चालू नहीं हो सका है।
अस्पताल में व्हील चेयर भी टूटी फूटी अवस्था में 2-3 बची है। बेडों पर रेलिंग भी नहीं लगी हुई हैं । डेढ़ वर्ष से भी अधिक का समय बीत चुका है आपरेशन थियेटर में ओर्थों के आपरेशन के लिए लगी सी.आ एम. मशीन भी खराब पड़ी है पिछले डेढ़ वर्ष में अस्पताल में कोई भी मेजर आपरेशन नहीं हो रहे हैं। आख एवं नाक, कान व गला के विशेषज्ञ तैनात होने के बावजूद इन विभागों से सम्बन्धित बड़ी सर्जरी भी नहीं की जा रही है। सकेंडरी केयर उपचार के लिए हिमाचल में कोई भी टाईअप अस्पातल नहीं है। जिससे बीमार कामगारों को बाहरी राज्यो में जाना पड़ रहा है। भारतीय मजदूर संघ ने चेतावनी दी है कि अगर यह सुविधाएं अस्पातल में शुरू नहीं हुई तो उन्हें मजबूर हो कर आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा। जिसकी जिम्मेदारी ईएसआईसी अस्पताल प्रशासन की होगी।

