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जाने क्यों मनाया जाता है लोहड़ी का पर्व और इससे जुड़ी मान्यता

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नई दिल्ली : लोहड़ी पर्व को लेकर मूंगफली, रेवड़ी और गजक की ज्यादा मांग रहती है। इसे लेकर शहर के बाजारों में कई जगह दुकानें सज गई हैं। लोग इनकी खरीदारी कर रहे हैं। वैसे लोहड़ी का त्योहार भगवान कृष्ण से भी जुड़ा है और इस दिन उन्होंने लोहिता नाम की राक्षसी का वध किया था। उसी समय से चली आ रही लोहड़ी पर्व को मनाने की परंपरा आज तक गतिमान है। लोहड़ी से जुड़ी प्रमुख लोककथा दुल्ला भट्टी की है जो मुगलों के समय का एक बहादुर योद्धा था। जिसने मुगलों के बढ़ते जुल्म के खिलाफ कदम उठाया था।

एक ब्राह्मण की 2 लड़कियों सुंदरी मुंदरी के साथ इलाके का मुगल शासक जबरन शादी करना चाहता था। इस मुसीबत की घड़ी में दुल्ला भट्टी ने ब्राह्मण की मदद की और लड़के वालों को मना कर एक जंगल में आग जला कर सुंदरी मुंदरी का ब्याह कराया। दुल्ले ने खुद ही उन दोनों का कन्यादान किया। इसी कथा की हिमायत करता लोहड़ी का यह गीत है, जिसे लोहड़ी के दिन गाया जाता है सुंदर, मुंदरिए हो, तेरा कौन विचारा हो, दुल्ला भट्टी वाला हो, दुल्ले धी (लड़की) व्याही हो, सेर शक्कर पाई हो।

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