धर्म: हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा की तिथि बहुत ही पवित्र मानी जाती है। यह तिथि कार्तिक महीने के अंतिम दिन में पड़ती है। इस दिन को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं। इसका मुख्य कारण है कि इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान शिव की पूजा अर्चना भी की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने तीन असुरों का नाश इसी दिन किया था। यह तीनों असुर अलग-अलग लोकों में आतंक मचाते थे। त्रिपरों के नाश के बाद शिवजी की महिमा और पूजा का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया और यह दिन त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से मशहूर हो गया।
गंगा स्नान का है खास महत्व
कार्तिक पूर्णिमा वाले दिन गंगा स्नान बहुत ही पवित्र माना जाता है। इस महीने में भी गंगा स्नान से सारे पाप दूर होते हैं और व्यक्ति को मोक्ष मिलता है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन स्वर्ग से देवी-देवता भी स्नान करने के लिए धरती पर आते हैं। इसके साथ ही इस दिन दीवाली भी मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि देवता धरती पर आकर दीप जलाते हैं और असुरों पर विजय प्राप्त करने की खुशी मनाते हैं।
5 नवंबर को मनाई जाएगी कार्तिक पूर्णिमा
इस बार कार्तिक पूर्णिमा 5 नवंबर को मनाई जाएगी। तिथि की शुरुआत 4 नवंबर को रात में 10:36 पर होगी और अगले दिन 5 नवंबर को शाम 6:48 तक रहेगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, पूर्णिमा तिथि 5 नवंबर को सूर्योदय के बाद तक बनी रहेगी इसलिए 5 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाएगी।
गंगा स्नान का शुभ मुहूर्त
गंगा स्नान का मुहूर्त सुबह 4:52 से लेकर 5:22 तक रहेगा। वहीं पूजा का मुहूर्त सुबह 7:58 से लेकर सुबह 9:20 तक रहेगा। प्रदोषकोल देव दीवाली का मुहूर्त शाम 5:15 बजे से लेकर रात 7:15 तक रहेगा। वहीं चंद्रोदय का समय शाम 5:11 बजे होगा।
इसी दिन मनाई जाएगी गुरुनानक देव जयंती
इसके अलावा कार्तिक पूर्णिमा वाले दिन सिक्खों के पहले गुरु गुरुनानक देव जी का जन्म हुआ था। सिख धर्म में यह दिन बहुत ही खास होता है। इस दिन सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारों में अरदास करते हैं, कीर्तन करते हैं औऱ भगवान का नाम जपते हैं।