जजों का कोई अपना मारता तो ऐसे फैसले नहीं आते यह अपराधियों की रिहाई नहीं बल्कि इस्लाम की जीत है
ऊना/सुशील पंडित: उच्च न्यायालय के जजों द्वारा देश के संविधान और कानून व्यवस्था को शर्मशार करने वाले निर्णय जिनमें मुंबई में 11 जुलाई 2006 को मुम्बई ट्रेनों में जगह जगह 7 सिलसिले बार धमाके करने वाले निचली अदालत से सजा पाने वाले मुजरिमों को बरी करने वाले निर्णय का अखिल भारतीय सन्त परिषद् के हिमाचल प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के प्रभारी यति सत्यदेवानंद सरस्वती महाराज शिष्य महामंडलेश्वर यति नरसिंहानन्द गिरी महाराज ने कड़ा विरोध करते हुए कहा कि आज मुम्बई उच्च न्यायालय के जजों ने यह साबित कर दिया है कि इंसाफ और प्रतिशोध केवल जिन्दा समाज के लोगों को मिलता है गुलाम और मुर्दा समाज केवल नेताओं और संगठनों के झंडे और जयकारे लगाने के तथा समय समय पर इस्लाम के जिहाद की भेंट चढ़ने के काम आता है क्योंकि अगर हमारा समाज जिन्दा होता तो आज देश के किसी भी कोर्ट में काम नहीं हो रहा होता सभी कोर्ट फैसला बापिस लेने तक समाज की भीड़ के द्वारा बन्द किया जाता। लेकिन समाज को तो फेसबुक व्हाट्स ऐप इंस्टा ग्राम और ट्विटर पर ही लड़ना है और विरोध दर्ज करवाना है और धीरे धीरे यह ये और अपने बच्चे इस्लाम के जिहाद की भेंट चढ़ाकर एक शर्मशार मौत मारना है।

यहां बताते चले कि 11 जुलाई 2006 को मुम्बई ट्रेनों में जगह जगह 7 सिलसिले बार धमाके 189 लोग मारे गए थे और 824 घायल हुए थे – अक्टूबर, 2015 में स्पेशल कोर्ट ने 5 अभियुक्तों को मौत की सजा सुनाई थी उसमें शामिल थे कमाल अंसारी, मोहम्मद फैसल अताउर रहमान शेख, एहतेशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी, नवीद हुसैन खान और आसिफ खान – इन सभी को बम लगाने का दोषी ठहराया गया था – कमाल अंसारी की जेल में ही 2021 में मौत हो गई – जिनको बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस अनिल किशोर और जस्टिस श्याम चांडक ने अभियोजन पक्ष को मामले को शक से परे साबित करने में विफल बताते हुए सभी 12 अभियुक्तों को बरी कर दिया।
यति सत्यदेवानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि यह फैसला देश को इस्लामिक राष्ट्र बनाने का बहुत बड़ा कदम है। इस केस में अभियुक्तों को हर तरह की कानूनी सहायता जमीयत उलेमा ए हिंद ने दी थी जैसे अन्य आतंकी हमलों के गुनहगारों को देता है – और बचा कर निकल ले गया जमीयत – कोई बड़ी बात नहीं कोई मोटा चढ़ावा देकर सबको बरी कराया हो –
उन्होंने कहा कि हाइकोर्ट के द्वारा यह फैसला कई सवाल खड़ा करता है कि अगर यह लोग निर्दोष थे तो ट्रायल कोर्ट यहां इसकी सारी कार्यवाही सबूत और गवाह पेश हुए वो क्या सब झूठे थे। अगर यह निर्दोष थे तो इनको सजा देने वाले कोर्ट के पैनल को सजा नहीं मिलनी चाहिए?
परन्तु यहां कानून न्याय सब समाप्त हो गया है देश में अब अंधेर नगरी चौपट राजा बाला है। जिनको हिंदुओं ने 2014 अपनी रक्षा की आस से सता दी थी उन्होंने भी हिंदुओं को धोखा दिया। अब समाज को अपनी दिशा स्वयं तय करने की आवश्यकता है। फैसला समाज ले।