जालंधर: पंजाब और दिल्ली में प्रदूषण में एक बार फिर से बढ़ोतरी हो गई है। एक ओर जहां पंजाब में पराली जलाने के मामले सामने आ रहे हैं, वहीं एक किसान ऐसा भी है जो खुद के पैसों से पराली को इकट्ठा करने में लगा हुआ है। मामले की जानकारी देते हुए दिलबाग सिंह ने बताया कि जहां तक किसान को लगता है कि वह पराली इकट्ठा करने में समर्थक है तो वहां तक किसान किराए पर मशीन लाकर पराली को खुद इकट्ठा करता भी है।
दिलबाग सिंह ने कहा कि हम किसान भी पराली को जलाना नहीं चाहते। उन्होंने कहा कि जैसे हमें पता लगा कि गुर्जर भाईचारा पराली का इस्तेमाल करते हैं, वह उन्हें दे देते हैं। वहीं अब उन्हें फैक्ट्री का पता लगा कि उक्त फैक्ट्री मालिक द्वारा पराली से कोयला बनाया जाता है। ऐसे ही उन्हें पता चला कि कुछ भट्ठी वाले भी पराली का इस्तेमाल करते हैं। जिसके चलते अब उन्होंने पराली को इकट्ठा करना शुरू किया।
उन्होंने कहा कि हम भी चाहते हैं कि पराली को इकट्ठा करके इसका इस्तेमाल किया जाए। इसी के चलते आज उन्होंने प्राइवेट मशीनरी के जरिए पराली को इकट्ठा करना शुरू किया है। दिलबाग सिंह ने कहा कि इस काम के लिए सरकार को चाहिए कि कुछ प्राइवेट मशीनरी के कर्मियों को सब्सिडी जारी की जाए, क्योंकि किसानों द्वारा दिए पैसों से उनका गुजारा नहीं होता। दिलबाग सिंह ने कहा कि अगर किसानों और उक्त मशीनरी कर्मियों को सब्सिडी मिल जाती है तो इससे कोई भी किसान पराली को आग नहीं लगाएगा, बल्कि मशीनरी के जरिए पराली को इकट्ठा करना शुरू कर देगा।
दिलबाग सिंह ने बताया कि इस बार दोआबा में किसानों द्वारा बहुत ही कम मात्रा में पराली को आग लगाया गया है। दिलबाग सिंह ने बताया कि किसानों द्वारा तो पराली को फ्री में दिया जा रहा है, लेकिन मशीनरी कर्मियों का खर्चा काफी हो जाता है।