जालंधर/अनिल : नगर निगम की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है। दरअसल, 10 माह से टेंडर प्रोसेस और मंजूरी को लेकर विवाद में फंसे इन ट्यूबवेलों को संभावित ठेकेदार ने ठेके पर लेने से इनकार कर दिया है। इसके लिए ठेकेदार सुधीर ने अपनी कंपनी एसकेई इंजीनियर के लेटर पैड पर निगम कमिश्नर को पत्र लिखकर टेंडर लेने से इनकार किया है और अर्नेस्ट मनी वापस मांगी है। ऐसे में अब इन टेंडरों को दोबारा लगाना पड़ेगा और इसमें कम से कम दो से तीन महीने निकल जाएंगे। हालांकि फिलहाल ठेकेदार ने यह कह दिया है कि वह इन ट्यूबवेल को नए टेंडर के होने तक आपरेट और मेंटेन करता रहेगा। ऐसे में शहर के आधे से ज्यादा इलाकों में पानी की आपूर्ति पर खतरा मंडरा रहा है। चार जोन के तहत 349 ट्यूबवेल के चार टेंडरों को रद्द किया जा सकता है।
आठ माह पहले खत्म हो चुका ठेका
गौरतलब है कि इन टयूबवेलों का पिछला ठेका भी ठेकेदार सुधीर के पास ही था। अब नए सिरे से टेंडर करना पड़ सकता है। इसके लिए शर्तें भी दोबारा तय करनी होंगी। पुरानी शर्तों को लेकर विवाद चल रहा है जिस वजह से पुराना ठेका खत्म होने के बाद भी नया ठेका देने पर सहमति नहीं बन रही। ठेकेदार सुधीर ने कहा कि वह निगम के सभी टयूबवेलों को अस्थाई तौर पर चलाते रहेंगे। ठेकेदार सुधीर के पास जोन नंबर सात के 56 ट्यूबवेल के आपरेयान एंड मेंटीनेंस का ठेका है। यह ठेका भी आठ महीने पहले खत्म हो चुका है और दो महीने पहले इसकी एक्सटेंशन भी खत्म हो चुकी है।
ट्यूबवेल चलाने के लिए मैन पावर रखने की शर्त को लेकर फंसा पेच
आठ महीने पहले टेंडर लगाए जाने के बाद भी पहले विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण और अधिकारियों के चुनावी कार्यक्रम में व्यस्त होने के कारण टेंडर प्रोसेस रुका रहा और जब चुनाव खत्म हुए तो उसके बाद ट्यूबवेल चलाने के लिए मैन पावर रखने की शर्त को लेकर पेच फंस गया। ठेकेदार ने इस पर सहमति दे दी थी लेकिन निगम की वाटर सप्लाई एंड सीवरेज एडहाक कमेटी के चेयरमैन पवन कुमार ने इस पर एतराज जता दिया। कई अन्य पार्षदों ने भी इस पर एतराज दाखिल किया तो मेयर ने भी टेंडर रोक लिए। इससे विवाद बढ़ गया और ठेकेदार ने जोन नंबर सात का काम बंद किया। इस वजह से दो दिन तक कई इलाकों में पानी की सप्लाई रुक गई और हाहाकार मच गया।
लोगों के प्रदर्शन के बार निगम ने शुरू करवाया ठेका
लोगों ने धरना प्रदर्शन किया तो नगर निगम ने ठेकेदार को अपील करके काम शुरू करवाया। अगर अब भी इन टेंडरों को रद्द करके नया टेंडर लगाया जाता है तो अगले दो से तीन महीने तक नगर निगम पूरी तरह से ठेकेदार पर ही निर्भर रहेगा। ठेकेदार को इसमें फायदा रहेगा कि उसे हर महीने ट्यूबवेल चलाने के पैसे मिलते रहेंगे। चार जोन के टेंडर को निगम की वित्त एवं ठेका कमेटी भी रखा गया लेकिन सहमति नहीं बनी थी। मेंबरों के एतराज के बाद एडहाक कमेटी से लिखित में एतराज और मैन पावर रखने से होने वाले वित्तीय नुकसान पर रिपोर्ट मांगी थी लेकिन अभी तक रिपोर्ट नहीं मिली है।
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