जालंधर, ENS: गुरु नानक जयंती पर सिख जत्थों को पाकिस्तान जाने की अनुमति न देने के केंद्र सरकार के फैसले ने राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था। वहीं आज परगट से सोशल मीडिया पर बताया कि केंद्र की ओर से पाकिस्तान जाने की जत्थे को मंजूरी मिल गई है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर सिख जत्थों को पाकिस्तान जाने की अनुमति देने के फैसले का कैंट से विधायक परगट सिंह ने स्वागत किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करते हुए कहा कि समस्त नानक नाम लेवा संगत को पाक जाने की बधाई। उन्होंने कहा कि आखिरकार केंद्र को आपकी एकजुट आस्था की आवाज़ सुननी ही पड़ी।

परगट सिंह ने लिखा कि यह राजनीति का मामला नहीं, बल्कि हमारी परंपराओं की गरिमा और सिखों के पवित्र स्थलों पर मत्था टेकने के अधिकार का मामला है। ईश्वर करे कि भक्तिभाव से उठाया गया हर कदम शांति और सम्मान को मज़बूत करे। हालांकि केंद्र की ओर से पाक जाने की मंजूरी को लेकर कोई बयान सामने नहीं आया है। बता दें कि पाकिस्तान जाने पर रोक लगाने का यह पहला मौका नहीं था। बल्कि विभाजन के बाद से पाकिस्तान स्थित सिख तीर्थों की यात्रा बार-बार बाधित हुई है।
1947 में जब उपमहाद्वीप हिंसा की चपेट में था तो कई ऐतिहासिक गुरुद्वारे सीमा के पार पाकिस्तानी हिस्से में ही रह गए थे। उसके बाद दशकों तक वहां पहुंच पाना लगभग असंभव हो गया था। इस दौरान समुदाय उजड़ गए, पुल नष्ट हो गए और सीमाओं पर सैन्यीकरण कर दिया गया।ननकाना साहिब और करतारपुर साहिब की लालसा प्रार्थना तक ही सीमित रह गई और श्रद्धालु अपने तीर्थ स्थलों के दर्शनों को तरसते रहे। 1965 के युद्ध के बाद जस्सर पुल जैसे क्रॉसिंग के नष्ट हो जाने के बाद तीर्थयात्रा लगभग बंद हो गई थी।
जून 2019 में भारत की ओर से सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए एक जत्थे को मंजूरी न देने पर लगभग 150 तीर्थयात्रियों को अटारी में रोक दिया गया। 2019 में धूमधाम से खोला गया करतारपुर कॉरिडोर कोविड-19 महामारी के कारण 20 महीने तक बंद रहा। मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के मद्देनजर गलियारा अचानक बंद कर दिया गया और उसी दिन 150 तीर्थयात्रियों को वापस भेज दिया गया। जून 2025 में भारत सरकार ने गुरु अर्जन देव जी की पुण्यतिथि के लिए लाहौर जाने वाले जत्थे को अनुमति देने से इन्कार कर दिया गया था।