12 मामले दर्ज, 19 रेड एंट्री
जालंधर, ENS: पराली जलाने की घटनाएं रोकने के लिए विभिन्न विभागों के साथ-साथ पंजाब पुलिस भी सक्रिय है। 353 हॉटस्पॉट गांवों में पराली प्रोटेक्शन फोर्स को तैनात किया गया है। फोर्स के 1700 जवान बठिंडा, फाजिल्का, फिरोजपुर, पटियाला, लुधियाना, मोगा, फरीदकोट, एसएएस नगर, मानसा, संगरूर, बरनाला, फतेहगढ़ साहिब और तरनतारन जिलों के हॉटस्पॉट गांव में कड़ी निगरानी रख रहे हैं। सख्ती के साथ पराली न जलाने के लिए भी किसानों को प्रोत्साहित भी किया जा रहा है। पराली जलाने वालों के खिलाफ केस भी दर्ज किए जा रहे हैं। इस सीजन में अब तक पराली जलाने से संबंधित 430 एफआइआर दर्ज की जा चुकी हैं।
सबसे ज्यादा 98 एफआइआर अब तक तरनतारन में दर्ज हुई है। वहीं जालंधर में बढ़ रही पराली जलाने की घटनाओं पर सख्त रुख अपनाते हुए जिला प्रशासन ने फील्ड में काम कर रहे 26 क्लस्टर अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में जिला प्रशासन ने पूछा है कि फील्ड में टीमों के सक्रिय होने के बावजूद पराली जलाने की घटनाएं कैसे हुईं। अब फील्ड में तैनात अधिकारी बतायेंगे कि जब पराली जलाई गई, वे कहां थे? हालांकि कार्रवाई अधिकारियों के जवाब के बाद ही होगी। यह रिपोर्ट उनकी सर्विस बुक में दर्ज की जा सकती है।
सबसे ज़्यादा पराली जलाने की घटनाएं शाहकोट सब‑डिवीजन के महितपुर और लोहिया में हुईं, जहां पराली जलाने के सात मामले सामने आए। इसके अलावा करतारपुर, नूरमहिल, भोगपुर में एक‑एक और नकोदर में 2 मामले आए। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को शुक्रवार शाम तक 34 मामले सैटेलाइट के माध्यम से मिले थे। अब तक पराली जलाने के 12 मामलों में कार्रवाई की जा चुकी है। कई मामलों की जांच चल रही है। शुक्रवार को अधिकतम AQI 302 रहा जो वीरवार से कम था। पराली जलाने के मामलों में अब तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। इस समय सिर्फ रेड एंट्री और जुर्माना वसूल किया जा रहा है।
वीरवार तक रेड एंट्री 16 थी जो शुक्रवार को बढ़कर 19 हो गई। बता दें कि जालंधर में 6 सब‑डिवीज़न हैं, जिनमें जालंधर‑1, जालंधर‑2, शाहकोट, नकोदर, आदमपुर और फिल्लौर शामिल हैं। सब‑डिवीजन के एसडीए अपनी टीमों के साथ पराली जलाने की निगरानी करते हैं। सैटेलाइट से जानकारी मिलने के बाद टीमें मौके पर जाकर आग लगने के कारणों की जांच करती हैं। टीम में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कर्मचारी, कृषि विभाग के कर्मचारी, पटवारी और पुलिस कर्मचारी शामिल होते हैं। एसडीएम मौके के अनुसार ड्यूटी निर्धारित करते हैं। इसके अलावा क्लस्टर अधिकारी गांवों की पंचायतों से संपर्क में रहते हैं। जहां लापरवाही पाई गई, वहां के सब‑डिवीजन के एसडीएम ने टीम के सदस्यों को नोटिस जारी कर कारण पूछा है।