जालंधर, ENS: थाना फिल्लौर में तैनात इंस्पेक्टर भूषण कुमार पर नाबालिग बच्ची के साथ अश्लील हरकतें करने और दूसरी महिला से वीडियो कॉल पर अभद्र बातचीत के मामले में अब फिल्लौर के डीएसपी सरवण सिंह बल्ल की मुश्किलें बढ़ गई है। इस केस में एसएसपी दफ्तर के वरिष्ठ अधिकारियों तक की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। वहीं पंजाब राज्य बाल अधिकार सुरक्षा आयोग ने इस प्रकरण में सख्त रुख अपनाते हुए भूषण के खिलाफ POCSO एक्ट मामले में पोक्सो एक्ट की धारा 21 में बढ़ौतरी करने के उपरंत डीएसपी बल पर पोक्सो एक्ट -2012 की धारा 21 और बीएनएस 199 के तहत एफआईआर दर्ज की जाए।

बताया जा रहा है कि बाल आयोग के हस्तक्षेप के बाद आने वाले दो से तीन दिनों में एसएसपी देहाती पर भी कार्रवाई हो सकती है। कहा जा रहा है कि आयोग ने यह भी निर्देश दिया है कि इंस्पेक्टर भूषण कुमार पर महिला के साथ अश्लील बातचीत के मामले में धारा 21 के तहत मामला दर्ज किया जाए और उसकी भी गिरफ्तारी की कार्रवाई की जाए।

आयोग ने साफ कहा है कि किसी भी पुलिस अधिकारी को कानून से ऊपर नहीं माना जाएगा और नाबालिगों से जुड़े मामलों में किसी भी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दरअसल, इस घटना ने न केवल जालंधर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी दर्शाया है कि पुलिस विभाग के अंदर अनुशासन और जवाबदेही की कितनी गंभीर कमी बनी हुई है।

वहीं इस मामले को लेकर डीएसपी बल ने कहा कि एसएचओ भूषण कुमार को बचाने में उन्होंने कोई मदद नहीं की है। उन्होंंने कहा कि इस मामले की उनके द्वारा पूरी गहनता से जांच की गई है। डीएसपी ने कहा कि वह अभी आयोग के समक्ष पेश नहीं हुए है, लेकिन वह जल्द आयोग के समक्ष पेश होकर मामले की सारी रिपोर्ट उन्हें सौंप देंगे।