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Jalandhar News: पहले नवरात्र पर श्री शक्तिपीठ देवी तालाब मंदिर में उमड़े श्रद्धालु, देखें वीडियो

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जालंधर, ENS: देश में आज से शरद नवरात्रि की शुरू हो गए है। वहीं नवरात्र को लकरे सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिल रही है। नवरात्रि के पावन अवसर पर आज यानी सोमवार श्री शक्तिपीठ मां त्रिपुरमालिनी के दरबार में भक्तों की भीड़ उमड़ी हुई है। श्री देवी तालाब मंदिर में स्थित श्री शक्तिपीठ माँ त्रिपुरमालिनी के दर्शन के लिए सुबह से ही लाइनों में लगकर भक्त पहुंच रहे हैं। शक्ति की आराधना का पर्व यानि नवरात्र को लेकर पुलिस द्वारा भी श्री शक्तिपीठ माँ त्रिपुरमालिनी के दरबार के आसपास सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम किए गए हैं।

वही 51 सिद्ध शक्तिपीठ में जालंधर में मां त्रिपुरमालिनी मंदिर 8वां सिद्ध शक्तिपीठ मंदिर है जहां माता सती का बायां वक्ष (स्तन) गिरा था। इस सिद्ध शक्तिपीठ मंदिर में देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग माथा टेकने आते हैं और अपनी मन्नते पूरी होने पर नतमस्तक होकर शुक्रिया अदा करते है।

सिद्ध शक्तिपीठ मां त्रिपुरमालिनी मंदिर के पुजारी ने कहा कि इस बार नवरात्रि बढ़ने से भक्तों के मन में खुशी की लहर है और नवरात्रि बढ़ना शुभ माना जाता है। पुजारी ने कहा कि 51 शक्तिपीठ में से 8वां शक्तिपीठ मंदिर जालंधर में है। शारदीय नवरात्रि में सुबह से ही मंदिर में लोगों की भीड़ का तांता लगा हुआ है और लोग सुबह से ही माथा टेकने आ रहे हैं। पुजारी ने बताया कि मां त्रिपुर मालिनी मंदिर में मां की पिंडी नहीं दिखाई देती, बल्कि मां की मूर्ति ही के दर्शन हो पाते है। पुजारी ने बताया आदि गुरु शंकराचार्य ने मां त्रिपुरमालिनी की मूर्ति को स्थापित किया था और यह मूर्ति देवी तालाब से स्वयं प्रकट हुई थी।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब अर्धांगिनी सती माता अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पति भगवान शिव को न बुलाए जाने का अपमान सहन नहीं कर पाई और उसी यज्ञ कुंड में कूद गईं। भगवान शिव को जब यह पता चला तो उन्होंने अपने गण वीरभद्र को भेजकर यज्ञ स्थल को उजाड़ दिया व राजा दक्ष का सिर काट दिया। बाद में भगवान शिव सती माता की जली हुई देह लेकर विलाप करते हुए ब्रह्मांड में घूमते रहे। जहां-जहां माता के अंग और आभूषण गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ निर्मित हो गए।

उसके अनुसार श्री देवी तलाब मंदिर में माता का बायां वक्ष (स्तन) गिरा था। जिसके चलते इस शक्ति पीठ का नाम मां त्रिपुरमालिनी पड़ा। मान्यता है कि मां त्रिपुरमालिनी के दरबार में जो भी वक्त सवा महीने तक लगातार आता है, उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है। यहां हर शुक्रवार को मां की भव्य चौकी लगाई जाती है। माता सती के 52 शक्तिपीठों में शामिल मां त्रिपुरमालिनी श्री देवी तालाब मंदिर में विराजमान हैं। नवरात्रि के उपलक्ष्य में आज मां त्रिपुरमालिनी को गुलाबी रंग के चमकीले वस्त्रों से सजाया गया। साथ ही मंदिर को फूलों से सजाया गया है। आज सुबह 5 बजे ही मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई थी।

 

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