जालंधर, ENS: गुरु तेग बहादुर साहिब जी के 350वें शहीदी दिवस पर दिल्ली के चांदनी चौक में स्थित गुरुद्वारा शीशगंज साहिब से चली साइकिल यात्रा जालंधर के केंद्रीय टर्म गुरुद्वारा साहिब में पहुंची। यह साइकिल यात्रा दिल्ली से चलकर अमृतसर तक 500 किलोमीटर की लंबी यात्रा है। यह यात्रा दिल्ली के चांदनी चौक में शीशगंज गुरुद्वारे से शुरू हुई और अमृतसर पहुंचेगी, जहां गुरु तेग बहादुर सिंह जी का जन्म स्थल है।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष सरदार मनजीत सिंह जीके ने बताया कि इस साइकिल यात्रा में ढाई सौ लोगों ने शुरुआत की है, लेकिन अमृतसर पहुंचते हजारों लोग इसका हिस्सा बनेंगे। साइकिल यात्रा में कश्मीरी पंडित भी शामिल हुए, जिन्होंने इस यात्रा पर फूल भी बरसाए। बच्चों से लेकर बुजुर्ग और विकलांग लोग भी इस यात्रा का हिस्सा बने। गुरू तेग बहादर साहिब जी के 350वें शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में गुरू साहिब जी के शहीदी स्थल गुरुद्वारा सीसगंज साहिब, दिल्ली से साइकिल यात्रा शुरू होकर उनके जन्म स्थान गुरुद्वारा गुरू का महल, अमृतसर तक जा रही है।
इस अनूठी यात्रा का आयोजन साइकिलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष सरदार मनजीत सिंह जी के द्वारा किया जा रहा है। इस यात्रा का उद्देश्य गुरू साहिब जी की शहादत, दया, निर्भयता और निडरता की विरासत का प्रचार करना है। इस साइकिल यात्रा का नाम “सीस दिया पर सिररु ना दीआ” साइकिल यात्रा है। इस यात्रा में सैकड़ों सिख नौजवान, श्रद्धालु और समाजसेवी भाग ले रहे हैं। यात्रा का उद्देश्य गुरु तेग बहादुर जी के त्याग, बलिदान और धर्म की रक्षा के संदेश को जन-जन तक पहुंचाना है।
ये यात्रा दिल्ली के चांदनी चौक से लेकर अमृतसर जोकि शहीदी स्थान तक जाएगी। यह यात्रा दिल्ली से पानीपथ,अंबाला, लुधियाना होते हुए आज जालंधर पहुंची है। सीनियर वाईस प्रेसिडेंट साइकिल फेडरेशन ऑफ़ इंडिया मनजीत सिंह जीके ने बताया कि गुरु टेग बहादुर बादशाह की शहादत को 350 साल हो रहे हैं। उनकी शहादत अपने हकों के लिए हुई थी। उन्होंने अपनी शहादत दे दी लेकिन सिर नहीं झुकाया। उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब में धर्म परिवर्तन और नशा सबसे बड़ी समस्या है।