जालंधर, ENS: भ्रष्टाचार मामले में जेल में बंद सेंट्रल हलके के विधायक रमन अरोड़ा के बेटे राजन अरोड़ा के बेटे को हाईकोर्ट ने इंटेरम रिलीफ मिल गई है। हाईकोर्ट से यह इंटेरम रिलीफ 24 सितंबर तक मिली है। वहीं दूसरी ओर एटीपी सुखदेव वशिष्ट को लेकर आज कोर्ट में सुनवाई हुई। जहां कोर्ट में दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद हाईकोर्ट ने बेल पर 27 जुलाई तारीख तय की है।
दरअसल, करप्शन कांड की साजिश में विजिलेंस ने बीएनएस की धारा 238 (सबूत खुर्द-बुर्द करना) और 308-2 (जबरन वसूली) की धाराएं जोड़ी हैं। विजिलेंस ने जांच रिपोर्ट में लिखा है कि एटीपी सुखदेव वशिष्ठ ने 22 महीने के कार्यकाल के दौरान नोटिस जारी कर 340 फाइलें बनाई थीं, लेकिन अब तक केवल 74 फाइल ही बरामद हुई थीं।
जांच में कहा गया है कि एटीपी ने बाकी की 266 फाइलें खुर्द-बुर्द कर दी हैं, जोकि केस की अहम कड़ी थीं। उसने नेटवर्क को बचाने के लिए सब किया है। केस में आरोपी बनाए गए सभी लोग बराबर के जिम्मेदार हैं। विजिलेंस ने जांच में लिखा है कि विधायक रमन अरोड़ा, एटीपी सुखदेव, विधायक के बेटे राजन अरोड़ा, समधी, राजदार महेश मखीजा, निगम की इंस्पेक्टर हरप्रीत कौर और अन्य के साथ मिलकर पहले निर्माणाधीन इमारत के मालिक को नोटिस देकर डराते थे, फिर इमारत गिराने की बात कह ब्लैकमेल करते थे।
विधायक उक्त लोगों के साथ मिलकर जबरन वसूली का नेटवर्क चला रहे थे। इसलिए जबरन वसूली की धारा जोड़ी है। विजिलेंस के पास पीड़ित भी सामने आए हैं। विजिलेंस विधायक रमन अरोड़ा के टच में रहने वाले एक एक्सईएन और एसडीओ की कॉल डिटेल की जांच कर रही है। बरामद फोन की फोरेंसिक जांच करवाई जा रही है।
बता दें कि राजन अरोड़ा को हाईकोर्ट के आदेशों के मुताबिक राजन पुलिस को जांच में सहयोग देगा। वहीं अब 24 सिंतबर तक पुलिस अब राजन अरोड़ा को गिरफ्तार नहीं कर सकती है। हालांकि इससे पहले राजन के पिता रमन अरोड़ा ने भी रेगुलर बेल कोर्ट में लगाई हुई थी। जबकि कोर्ट ने रमन अरोड़ा की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।