जालंधर, ENS: महानगर के बस्ती दानिश बंदा इलाके में एक छोटी बच्ची सड़क किनारे रोते हुए मिली। स्थानीय दुकानदार और राहगीर जब उसे देखने गए तो बच्ची घबरा रही थी और जोर-जोर से रो रही थी। करीब 6 साल की बच्ची को लोगों ने तुरंत संभाला। उसका नाम पूछा गया तो उसने बस इतना ही कहा कि उसका नाम समायरा है। अपनी उम्र के हिसाब से बच्ची अपने पिता का नाम नहीं बता पाई। अपने घर का पता या गली भी याद नहीं था।
समायरा ने ठंड से बचने के लिए ग्रे रंग का गर्म सूट और पैरों में बूट पहने हुए थे। स्थानीय लोगों ने उसे पानी दिया और धीरे-धीरे उसका डर कम करने की कोशिश की।
परिजनों की तलाश में 2 किलोमीटर तक स्कूटी पर घूमाया
समायरा के आसपास के लोग तुरंत उसे स्कूटी पर बैठाकर लगभग 1-2 किलोमीटर तक घुमाए। हर गली, हर नुक्कड़ और हर चौराहे पर जाकर लोगों ने पूछा, “क्या यह आपका बच्चा है?” लेकिन मासूम समायरा किसी भी जगह को पहचान नहीं पाई। करीब आधा घंटा तक चलने वाली यह खोज नाकाम रही।
मां लवली ने दूर से ही पहचान बच्ची को पहचाना
जब लोग थककर वापस लौट रहे थे, तभी समायरा को उसकी मां लवली ने दूर से पहचान लिया। अपनी बेटी को देखकर लवली की आंखों में आंसू आ गए और वह तेजी से दौड़ती हुई उसके पास पहुंची।
मां ने पूरी घटना बताई
लवली ने बताया आज घर पर कुछ रिश्तेदार आए हुए थे। समायरा और दूसरे बच्चे बाहर खेल रहे थे। खेलते-खेलते आवारा कुत्ते बच्चों के पीछे पड़ गए, जिससे समायरा डर गई। डर के कारण वह तेजी से भाग गई और दूसरी गली में चली गई। जब हमने देखा कि वह बाहर नहीं है, तो हम 15-20 मिनट से उसे खोज रहे थे।
परिवार ने मददगारों का किया धन्यवाद
समायरा के सुरक्षित मिलने के बाद परिवार खुशियों से भर गया। उन्होंने सभी नेकदिल लोगों का दिल से धन्यवाद किया, जिन्होंने समय पर बच्ची को संभाला और सुरक्षित घर तक पहुंचाने में मदद की। इस घटना ने यह साबित कर दिया कि इंसानियत आज भी जिंदा है।