कनाडा भेजने के नाम पर एक और मामला आया सामने
700 विदेशी स्टूडेंट्स के डिपोर्ट मामले में आया था चर्चा में
जालंधर/वरुणः कनाडा भेजने की आड़ में ठगी के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे। वहीं अब ताजा मामला एजुकेशन माइग्रेशन सर्विस सेंटर के मालिक बृजेश मिश्रा और अन्य 2 साथियों के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया है। पीड़िता की शिकायत पर थाना 6 की पुलिस ने एजेंट और उसके साथियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पुलिस ने एफआईआर नंबर 47 में आईपीसी की धारा 406, 420, 465, 467, 468, 471 और 120 के तहत बृजेश मिश्रा पुत्र जयशंकर मिश्रा निवासी एमआईजी फ्लैट गुरु गोबिंद सिंह एवन्यू, गुरनाम सिंह पुत्र धर्मसिंह निवासी चीमा नगर एक्सटेशन, मिठ्ठापुर, राहुल भार्गव पुत्र नरिंदर कुमार निवासी कबीर एवन्यू लद्देवाली के रूप में हुई है।
थाना 6 के प्रभारी कमलजीत सिंह ने बताया कि उक्त आरोपियों ने न्यू मैन कंसल्टेंट ग्रीन पार्क में अपना दफ्तर खोला हुआ था। दर्ज की गई शिकायत के अनुसार उक्त एजेंट ने एंबेसी में फर्जी दस्तावेज लगाकर लड़की से 17 लाख रुपए लिए थे। जिसके बाद पीड़िता को एंबेसी के जरिए पता चला कि उनकी फाइल में लगे दस्तावेज फर्जी है। जिसके बाद उन्हें सही दस्तावेज जमा करवाने के लिए कहा गया नहीं तो उन्हे ब्लैकलिस्ट घोषित कर दिया जाएगा। इस मामले के बाद पीड़ित परिवार जब उक्त एजेंट के पास गया तो एजेंट अपनी एंबेसी में उच्च अधिकारियों के साथ अपनी जान-पहचान बताकर मामले को टाल मटोल करता गया।
काफी समय बीत जाने के बाद जब उक्त एजेंट से संपर्क किया तो उससे कोई संपर्क नहीं हो पाया। एजेंट बृजेश मिश्रा के दफ्तर पहुंचे तो वह बंद पड़ा हुआ है। जिसके बाद उन्हें पता चला कि उक्त एजेंट ने उनसे लाखों रुपए की ठगी की है। इस मामले के बाद पीड़ित परिवार ने थाने में शिकायत दर्ज करवाई। पीड़ित परिवार के बयानों पर पुलिस ने एजेंट बृजेश मिश्रा और उसके साथियों के खिलाफ मामला दर्ज कर छापेमारी की जा रही है। बता दें कि उक्त एजेंट के द्वारा विदेश भेजने के मामले में लोगों से ठगी करने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले उक्त एजेंट कनाडा में 700 भारतीय विद्यार्थियों को डिपोर्ट करने के मामले में चर्चा में आया था। जहां एजेंट ने छात्रों को फर्जी ऑफर लेटर मुहैया करवा कनाडा कॉलेज में दाखिला दिलवा दिया। जो मुद्दा इस समय काफी चर्चा में है। वहीं इस मामले में कनाडा की सीमा सुरक्षा एजेंसी (सीबीएसए) ने 700 भारतीय छात्रों को चिट्ठी जारी कर कहा की कि उन्हें अब भारत वापस जाना पड़ेगा। इन छात्रों के पास अब सिर्फ कोर्ट में नोटिस को चुनौती देने का रास्ता बचा है, जिसकी सुनवाई में 3 से 4 साल लग सकते हैं।
बताया जा रहा है कि 700 छात्रों ने जालंधर स्थित एजुकेशन माइग्रेशन सर्विस सेंटर के जरिए स्टूडेंट वीजा के लिए आवेदन किया था। हंबर कॉलेज में प्रवेश के लिए प्रति छात्र 16 से 20 लाख रुपए लिए गए थे। साथ में हवाई टिकट और सुरक्षा खर्च अलग थे। छात्रों ने कहा कि जब वह विदेश पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि कॉलेज की सभी सीटें भर चुकी हैं और छात्रों को अगले सेमेस्टर तक 6 महीने तक इंतजार करना होगा। इन छात्रों को एजेंसी ने फीस वापस कर दी और अगले सेमेस्टर के लिए दाखिल करवाया गया। छात्रों ने पढ़ाई पूरी की। वर्क एक्सपीरियंस हासिल कर पीआर के लिए आवेदन किया। पीआर के समय जब सीबीएसए ने उनके दस्तावेजों की जांच की तो सामने आया कि छात्रों को जो ऑफर लेटर एजेंट ने मुहैया करवा वह फर्जी थे। इसलिए इन सभी छात्रों को डिपोर्ट करने के लिए पत्र या नोटि दिए गए हैं। छात्रों ने जालंधर के कार्यालय में संपर्क किया तो एजेंट के दफ्तर का ताला लगा मिला। बताया जा रहा है कि एजेंट भाग गया है।