जालंधर, ENS: महानगर में फर्जी पुलिस भर्ती को लेकर चौकाने वाला खुलासा हुआ है। दरअसल, यह खुलासा तब हुआ जब कर्मियों को उनकी 3 महीने से सैलेरी नहीं मिली। इस दौरान पता चला कि PAP और SSP दफ्तर के बाहर उनकी फर्जी हाजिरी लगवाई जा रही थी और उनसे पुलिस की भर्ती के नाम पर 2 फर्जी पुलिसकर्मियों ने लाखों रुपए की ठगी मार ली। दरअसल, आरोपियों ने SSP ऑफिस और PAP बाहर रजिस्टरों पर फर्जी हाजिरी लगवाकर उन्हें ड्यूटी के लिए अलग अलग इलाकों में भेज देते थे। सैलेरी ना मिलने के बाद जब इसका खुलासा हुआ तो सारे मामले की जांच करीब 3 साल तक चली। जिसके बाद थाना जालंधर कैंट की पुलिस ने कैंट के मोहल्ला नंबर-32 के रहने वाले अमित कुमार और बलविंदर कुमार के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कर लिया है। फिलहाल दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी अभी बाकी है।
पुलिस को दी गई शिकायत में जालंधर कैंट के रहने वाले चेतन ने बताया कि उसके पिता वैल्डिंग का काम करते हैं। आरोपी चेतन के पिता की दुकान पर गए थे। जहां अमित ने सारे मामले की जानकारी उसके पिता को दी और अपने झांसे में ले लिया। आरोपी ने उससे कहा कि वह पीएपी में दर्जा चार कर्मचारी की भर्ती करेगा। जिसके लिए एक लाख रुपए लगेंगे। पीड़ित ने बताया कि आरोपी का कहना था कि अगर वह दूसरे युवक को भर्ती करेगा तो वह उससे कम पैसे लेगा और उसे जल्द ही प्रमोट भी कर देगा। इसके बाद जब उसने अपने दोस्तों के साथ पुलिस में भर्ती होने की बात कही तो, उसके दोस्त मनीष कुमार, विक्रम कुमार, सौरव कुमार, सुनील कुमार, नवीन, अभिषेक, मणि और अशोक कुमार ने मिलकर आरोपी को कुल 9 लाख रुपए दिए। आरोपी ने बताया कि उसका काम पुलिस द्वारा जारी नोटिस को डाक से लोगों के घर तक पहुंचाना था, जिसका एक माह का वेतन 26 हजार रुपए मिलेगा।
पैसे लेने के बाद एक माह जब आरोपियों ने पीड़ितों को पुलिस लाइन में बुला लिया। जहां बलविंदर कुमार से पहली बार उनका मुलाकात हुई। बलविंदर सिंह ने अपने दो अन्य साथियों के साथ मुलाकात करवाई। जहां ड्राइविंग टेस्ट करवाया गया। कुछ देर बाद कहा गया कि टेस्ट में पास हो गए हैं। आरोपियों ने उन्हें अगले दिन पुलिस लाइन के बाहर मिलने के लिए कहा था। फिर यहां से फर्जी हाजिरी का सिलसिला शुरू हुआ। पहले तो आरोपियों ने पीएपी के बाहर बुलाकर फर्जी हाज़िरी लगवानी शुरू की। 15 दिन तक ऐसे ही चला। हाज़िरी लगवाने के बाद उन्हें घर भेज दिया जाता था। 15 दिन बाद ऐसे ही एसएसपी ऑफिस में 15 दिन तक हाज़िरी लगवाई गई। धोखाधड़ी का तब पता चला जब दो महीने बाद भी वेतन नहीं आया। जब उन्होंने आरोपियों से बात की तो वे टाल-मटोल करने लगे। जिसके बाद जब उन्होंने खुद पता किया तो उन्हें पता चला कि वे धोखाधड़ी का शिकार हो चुके हैं।
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