कमरे में 25 लोगों की जगह रहते थे 125 मरीज
MD सुखविंदर सुखी पर आरोप, नहीं मिलती थी दवाई, होती थी मारपीट
जालंधर, ENS: समरावा में बस अड्डडे के पास समरा पैलेस के अंदर अवैध रूप से बने नशा छुड़ाओं प्राइवेट सेंटर में डीसी हिमांशु अग्रवाल और तहसीलदार की अगुवाई में पुलिस ने रेड की। जहां 102 लोगों को सेंटर से मुक्त करवाकर सिविल अस्पताल लाया गया। मामले की जानकारी देते हुए गढ़शंकर के रहने वाले इंद्रपाल ने बताया प्राइवेट सेंटर है, जिसमें 20 से 25 लोगों के रहने की व्यवस्था थी, लेकिन वहां पर 125 लोगों को रखा गया था। छोटे से हाल में नशा छुड़ाने के लिए आए लोगों में से किसी को 8 माह हो गए तो किसी को 2 साल हो गए थे।
इस सेंटर में परिजनों को मिलने की इजाजत नहीं दी जाती है। उन्हें बाहर से खुद ही मिलकर कह दिया जाता था कि आपका बच्चा ठीक नहीं है और परजिनों को वापिस भेज दिया जाता था। इस नशा छुड़ाओं सेंटर में लोगों की ठीक करने की बजाय दिमागी तौर पर काफी परेशान किया जाता था। इस सेंटर का एमडी सुखविंदर सिंह सुखी है। पीड़ित ने बताया कि अगर किसी मरीज ने एक रोटी ज्यादा या कम खा लेता था तो उसे 2 दिन तक दीवार की ओर मुंह करके बैठने की सजा दी जाती थी। इस सेंटर में मरीजो को 12 बजे से 4 बजे तक सोने का समय मिलता था। यहां पर मरीजों द्वारा अगर कोई गलती हो जाती थी तो उसे 5 से 6 लोग मिलकर पीटना शुरू कर देते थे।
जिसके बाद भारी पुलिस फोर्स के साथ रेड करके उन्हें सिविल अस्पताल लाया गया। जहां उनकी डॉक्टरों द्वारा फाइल बनाकर परिजनों से बात करवाई गई और उसके बाद रिहा किया गया। अब वह अपने परिजनों के पास जा वापिस घर जा रहे है। पीड़ित ने बताया कि इस सेंटर ने नशा छुड़ाने के लिए कोई चंडीगढ़, अमृतसर, तरनतारन, करतापुर जैसे अन्य जिलों से आया था। इनके 2 से 3 सेंटर थे और वह बंद हो चुके है। जहां एक मरीज का 15 हजार से 30 हजार रुपए महीना लिया जाता था। लेकिन मरीजों का खर्चा महीने का 2 से 3 हजार रुपए आता था। दरअसल, मरीजों को ना तो ठीक से खाना दिया जाता था और ना ही चाय मिलती थी।
वहीं मामले की जानकारी देते हुए एसीपी आतिश भाटिया ने कहाकि सब डिविजन का मामला है। आज नाइट डोमिनेशन के कारण वह सिविल अस्पताल आए है। उन्हें भारी मात्रा में मरीज के आने की सूचना मिली है। लॉ इन ऑर्डर को लेकर वह अस्पताल में आए है। उन्होंने कहा कि पुलिस की सेपरेट कार्रवाई चल रही है। इस बारे में अधिक जानकारी जांच अधिकारी बता सकते है। युद्ध नशे के विरुद्ध मुहिम को लेकर कार्रवाई की जा रही है। जिसमें नशा छोड़ने वालों को केंद्र में नशा छोड़ने के लिए भर्ती किया जा रहा है।
मामले की जानकारी देते हुए मदीप ने बताया कि वह तरनतारन का रहने वाला है। उसे नशा करते 10 से 12 साल हो गए है। उसे एक माह के लिए नशा छुड़ाओं केंद्र में भर्ती करवाया गया था। जहां सेंटर के कर्मियों द्वारा नशा छोड़ने वाले लोगों के साथ अत्याचार किया जाता था। पीड़ित ने बताया कि सुखी भाई के नाम से प्राइवेट नशा छुड़ाओं केंद्र है। चाचे का बेटा 2 माह पहले इस नशा छुड़ाओं सेंटर में भर्ती होकर वापिस घर चला गया था। जिसके बाद उसने नशे की ओवरडोज से मौत हो गई थी। पीड़ित ने बताया कि दिसंबर के माह में वह आए थे। जहां उनसे सफाई करवाई जाती थी। उनसे 15 हजार रुपए महीना लेते थे। वहां पर कोई नशे को लेकर दवाई नहीं दी जाती थी। उसे 5 माह से जबरदस्ती रखा गया।
जस्स ने कहाकि सेंटर में नशा छोड़ने के लिए भर्ती हुआ था। जहां पुलिस द्वारा रेड की गई और उसके बाद सिविल अस्पताल लाया गया। जहां उसे अब सिविल अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा घर वापिस भेजा जा रहा है। वहीं अन्य पीड़ित ने कहा कि वह कनाडा से 23 साल बाद वापिस डिपोर्ट होकर लौटा था। वहां पर उसके ऊपर केस हुए थे। वहां पंजाब आकर नशे का आदी हो गया। जिसके चलते परिवार वालों ने इस अवैध नशा छुड़ाओं सेंटर में भर्ती करवाया गया। इस सेंटर में सभी मरीजों के साथ बेरहमी से मारपीट की जाती थी और उनके साथ काफी अत्याचार होता था।