जालंधर, ENS: किसानों की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही। किसानों का कहना है कि अभी तक फसलों के हुए नुकसान का मुआवजा भी सरकार द्वारा नहीं मिला है। वहीं अब गन्ने की फसल खराब होने से किसानों पर एक ओर मार पड़ गई है। ऐसा ही एक मामला किशनगढ़ से सामने आया है। जहां मामले की जानकारी देते हुए दिलबाग सिंह और हरसलिंदर सिंह ने बताया कि गन्ने की फसल में लाल सड़न लोग से वह परेशान है। किशनगढ़ में गन्ने की फसल में तेजी से लाल सड़न रोग फैल रहा है जिससे फसल सूख रही है।
उन्होंने कहा कि इस रोग से फसल पूरी तरीके से नष्ट हो जाती है। वर्तमान में 238 गन्ने की प्रजाति इस रोग से ग्रसित हो चुकी है। मामले की जानकारी देते हुए दिलबाग सिंह और हरसलिंदर सिंह ने बताया कि इस रोग से 25 प्रतिशत बुरी तरह से खराब हो चुकी है। जबकि अन्य 25 प्रतिशत फसल भी खराब होने की कगार पर है। उन्होंने इस फसल के खराब होने का कारण बताया कि इस प्रजाति की फसल की वरायटी जैसे-जैसे पुरानी हो जाती है, वैसे वैसे फसल खराब होनी शुरू हो जाती है। पीड़ितों का कहना है कि इस मामले को लेकर उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर कुछ समय पहले कई किसान नेताओं ने मिलकर सीएम भगवंत मान के साथ मीटिंग भी की थी, लेकिन कोई हल नहीं निकला। पीड़ितों का कहना है कि इस फसल का पंजाब यूनिर्विसटी में कोई बीज तैयार नहीं होता, जिसके कारण उन्हें इस फसल के बीज को हरियाणा यूनिवर्सिटी से लेना पड़ता है। पीड़ितों का कहना है कि पंजाब यूनिवर्सिटी के पास अभी तक जो भी बीज तैयार हुए वह कामयाब नहीं हुए।
उन्होंने कहा कि 238 गन्ने की प्रजाति के बीज भी उन्होंने हरियाणा यूनिवर्सिटी से ही खरीदे थे। इस दौरान पीड़ितों ने बताया कि एक गन्ने की फसल को तैयार करने में उनका एक साल का एक लाख से सवा लाख रुपए हजार रुपए खर्च आ जाता है। ऐसे में अगर फसल खराब होने से उनकी परेशानी ओर बढ़ गई है। किसान ने कहा है कि तीसरा साल हो गया है, लेकिन फसल खराब होती है। पीड़ितों ने कहा कि ना तो इस मामले में उन्हें सरकार की ओर से कोई मुआवजा मिला है और ना ही इस गन्ने की बीमारी का कोई हल निकल पाया है। ऐसे में किसानों से सरकार से नुकसान हुई गन्ने की फसल के मुआवजे की मांग की है।