धर्म: भगवद गीता में बताया गया है कि मृत्यु एक कड़वा सच है। इसको कोई भी नहीं बदल सकता परंतु गीता में यह भी बोला गया है कि मृत्यु सिर्फ शरीर का अंत करती है आत्मा का नहीं। मृत्यु के बाद सिर्फ शरीर नष्ट नहीं होता परंतु आत्मा जीवित रहती है। धरती पर जीव, जन्तु या मानव जिसका भी जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है लेकिन सभी की मृत्यु एक जैसी नहीं होती। अब हाल ही में एक व्यक्ति ने प्रेमानंद महाराज ने अकाल मृत्यु को लेकर सवाल किया है।
महाराज ने अकाल मृत्यु पर दिया जवाब
एक व्यक्ति ने प्रेमानंद महाराज से पूछा कि जैसे मृत्यु पहले से तय होती है तो क्या अकाल मृत्यु भी पहले से तय होती है। महाराज ने पर जवाब दिया कि – ‘नहीं अकाल मृत्यु पहले से तय नहीं होती। मृत्यु तय होती है। उन्होंने कहा कि जब कोई व्यक्ति पूर्व जन्म या फिर इस जन्म में कोई महापाप करता है तो दंड के रुप में उसकी उम्र क्षीण हो जाती है और उसे अकाल मृत्यु मिलता है’।
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इस वजह से होती है अकाल मृत्यु
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अकाल मृत्यु को पुराने बुरे कर्मों या अशुभ ग्रहों की स्थिति के साथ जोड़कर देखा जाता है। यह भी माना जाता है कि पितृ दोष या काल सर्प दोष भी अकाल मृत्यु कारण बनते हैं। प्रेमानंद महाराज के अनुसार, व्यक्ति की कुछ गलत आदतें भी महापाप की श्रेणी में आती हैं। इससे कि उसकी आयु कम हो जाती है। अकाल मृत्यु का योग बनता है जैसे कि पराई स्त्री के साथ संबंध बनाना महापाप माना जाता है। यह गलत काम भी अकाल मृत्यु का कारण बनता है।
यदि व्यक्ति की अकाल मृत्यु न हो तो व्यक्ति जीवनभर मृत्यु तुल्य कष्ट पाता है। साधु संतों का अपमान, गर्भवती महिला का अपमान और बुजुर्ग, गरीब या असहायों का अपमान करना भी गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है और ऐसे लोगों को अकाल मृत्यु का दंड मिलता है।