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जल शक्ति विभाग ने वाटर टैंक निर्माण में वरती अनियमितताएं:शिव दत वशिष्ठ 

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ऊना/सुशील पंडित : जलशक्ति विभाग द्वारा ऊना में निर्मित वाटर टैंक निर्माणकार्य में हुई अनदेखी का मामला सामने आया है, जिसमें भारी अनिमितता बरती गई है। शिव सेना के प्रांत प्रमुख एवं अधिवक्ता शिवदत्त वशिष्ठ ने रविवार को एक प्रेस वार्ता में खुलासा करते हुए बताया कि बहडाला के सरकारी स्कूल के निकट जल शक्ति विभाग द्वारा निर्मित वाटर टैंक के निर्माण में नियमों को ताक पर रखकर विभाग ने इसका निर्माण करवाया है। उन्होंने कहा कि एक आरटीआई से प्राप्त सूचना के अनुसार जल शक्ति विभाग ने वाटर टैंक के लिए जो  टेंडर लगाए थे उसमें वाटर टैंक की ऊंचाई 20 मीटर तय गई थी, लेकिन बाद में इसे बिना उच्चाधिकारियों की स्वीकृति के 15 मीटर में ही बना दिया गया।

उन्होंने कहा कि 23/11 2021 में टैंक का तीन सदस्य टीम ने निरीक्षण करके पाया कि क्योंकि इस टैंक निर्माण की क्षमता 1 लाख लीटर की है, और इसकी ऊंचाई 20 मीटर तय की गई है, लेकिन 3 सदस्य टीम ने निरीक्षण के बाद इसे 15 मीटर में मुकम्मल करने की अपने तौर पर अनुमति प्रदान कर दी। शिवदत्त वशिष्ठ ने कहा कि 3 सदस्य टीम ने अपने उच्चाधिकारियों से इस बाबत किसी प्रकार की कोई अनुमति नहीं ली। उन्होंने काकी टैंक निर्माण की ड्राइंग भी उच्च अधिकारियों से अप्रूव नहीं करवाई गई है उसमें भी नियमों को ताक पर रखा गया है। कहा कि विभाग ने जो ड्राइंग उन्हें आरटीआई के द्वारा भेजी गई है उससे यह साफ पता चलता है कि उससे ड्राइंग में सर्कल हैड ड्राफ्ट्समैन के हस्ताक्षर ही नहीं हैं, जिससे यह पता चलता है कि इसमें भी नियमों को ताक पर रखा गया है।

विशेष तो ने कहा कि टैंक की ऊंचाई टेंडर से 5 मीटर कम करने की अप्रूवल विभाग के उच्चाधिकारियों से नहीं दी गई है। अधिवक्ता शिवदत्त वशिष्ठ ने कहा कि 30/8/22 को जल शक्ति विभाग से उन्होंने इस बाबत जो विस्तृत सूचना मांगी थी, उसकी एवज में विभाग ने ₹2772 जमा करवा लिए हैं, जिसके 924 पृष्ठ बताए गए हैं, लेकिन आज तक जानकारी भी उपलब्ध नहीं कराई गई। उन्होंने कहा कि यह तो आरटीआई से एक मामला सामने आया है। इस तरह के जितने भी वाटर टैंक जल शक्ति विभाग ने बनाए हैं, उन सब की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए, ताकि पता चल सके कि क्या मिट्टी की जांच से लेकर टैंकों की ऊंचाई तथा गुणवत्ता नियमानुसार सही है कि नहीं। अगर कल को कोई हादसा पेश आता है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा यह जल शक्ति विभाग के उच्चाधिकारियों को बताना होगा।

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