Highlights:
- ईरान की यूनिवर्सिटी में हिजाब के खिलाफ छात्रा का साहसिक न्यूड प्रदर्शन, दुनिया भर में वीडियो वायरल।
- तेहरान की साइंस एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी की अहू दरयाई ने ड्रेस कोड के खिलाफ उठाई आवाज, पुलिस कार्रवाई के बाद समर्थन में उठा सोशल मीडिया।
- ईरान में हिजाब के कठोर नियमों और महिला अधिकारों के संघर्ष की झलक, अंतरराष्ट्रीय मंच पर जोर पकड़ता मुद्दा।
नई दिल्ली: ईरान में महिलाओं के अधिकारों पर बढ़ते असंतोष और हिजाब के अनिवार्य नियमों के विरोध में एक छात्रा का प्रदर्शन इस्लामिक दुनिया में चर्चा का विषय बन गया है। तेहरान की साइंस एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी की छात्रा अहू दरयाई ने सरेआम अपने कपड़े उतार कर ईरान की महिलाओं पर लागू किए गए सख्त ड्रेस कोड के खिलाफ आवाज बुलंद की। इस साहसिक कदम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है और यह घटना अब वैश्विक स्तर पर महिला अधिकारों की बहस का केंद्र बन गई है। यह प्रदर्शन केवल व्यक्तिगत विरोध नहीं बल्कि ईरान में दशकों से चले आ रहे कठोर इस्लामिक नियमों के खिलाफ एक आंदोलन के रूप में देखा जा रहा है।
ईरान में महिलाओं पर हिजाब पहनने का नियम 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद लागू हुआ था। सरकार का दावा है कि हिजाब महिलाओं की सुरक्षा और गरिमा को बनाए रखने के लिए जरूरी है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, खासकर युवा पीढ़ी के बीच, हिजाब के अनिवार्य नियम को लेकर असंतोष बढ़ा है। महसा अमीनी की मौत के बाद से ईरान में महिलाओं के अधिकारों को लेकर कई विरोध प्रदर्शन हुए हैं, जिसमें ‘महिला, जीवन, स्वतंत्रता’ जैसे नारों के साथ एक नया आंदोलन शुरू हुआ। अहू दरयाई का विरोध इसी बढ़ते असंतोष का प्रतीक है।
वीडियो में क्या दिखता है?
वायरल वीडियो में अहू दरयाई को सिर्फ अंडरगारमेंट्स में देखा जा सकता है, जबकि यूनिवर्सिटी के सुरक्षा गार्ड्स उसे रोकने की कोशिश करते नजर आते हैं। दर्शकों के बीच इस प्रदर्शन को लेकर एक हलचल मच गई है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में दर्शकों ने इसे साहसी कदम बताया, जबकि कई इसे एक सोची-समझी राजनीति मान रहे हैं। अहू दरयाई ने यूनिवर्सिटी के कैंपस में अपने कपड़े उतारकर स्पष्ट संदेश दिया कि महिलाओं पर ड्रेस कोड लागू करने की नीतियों का अब और विरोध किया जाएगा।
A woman’s body is a battlefield and a tool for liberation. It is with women’s bodies that this Islamic regime of Iran will be overthrown. #WomanLifeFreedom
Where is #GirlOfScienceResearch?#FreeGirlOfScienceResearch#دختر_علوم_تحقیقات pic.twitter.com/KV2xlYYjSg— Maryam Namazie مریم نمازی (@MaryamNamazie) November 3, 2024
यूनिवर्सिटी और प्रशासन की प्रतिक्रिया
यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता अमीर महजब ने बयान दिया कि अहू दरयाई मानसिक दबाव में थीं और उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। हालांकि, महिला अधिकार संगठनों का मानना है कि ईरान की सरकार अक्सर इस तरह के विरोध को दबाने के लिए प्रदर्शनकारियों को “मानसिक बीमार” करार देती है, ताकि विरोध को गंभीरता से न लिया जाए। सोशल मीडिया पर यह विचार तेजी से उठ रहा है कि अहू दरयाई का कदम केवल मानसिक बीमारी का नतीजा नहीं, बल्कि एक सोचा-समझा विरोध था।
महिला अधिकार आंदोलन और वैश्विक प्रतिक्रिया
यह घटना उन कई हालिया विरोध प्रदर्शनों में से एक है जो ईरान में महिलाओं के अधिकारों और उनकी स्वतंत्रता के लिए जारी संघर्ष को दिखाते हैं। इस्लामिक नियमों के खिलाफ विरोध करने वालों में केवल स्थानीय छात्राएं ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिला अधिकार समर्थक भी हैं। मानवाधिकार कार्यकर्ता मरियम नमाजी ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि यह आंदोलन केवल ईरान तक सीमित नहीं है; यह एक वैश्विक मुद्दा है। उन्होंने लिखा, “महिलाओं का शरीर आज एक संघर्ष का मैदान बन गया है और ईरान की इस्लामिक शासन को चुनौती देने का माध्यम भी।”
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस घटना पर मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है। संयुक्त राष्ट्र और कई मानवाधिकार संगठनों ने इस घटना को महिला स्वतंत्रता पर पाबंदी की “संकीर्ण सोच” करार दिया। सोशल मीडिया पर #WomanLifeFreedom, #FreeGirlOfScienceResearch जैसे हैशटैग्स ट्रेंड कर रहे हैं, जिसमें महिलाओं के अधिकारों के प्रति वैश्विक समर्थन देखा जा सकता है।
ईरान में महिला अधिकारों के खिलाफ सख्ती
ईरान की महिलाओं पर दशकों से इस्लामिक नियम लागू हैं, जिसमें हिजाब पहनने से लेकर सार्वजनिक आचरण तक सभी पर नियंत्रण है। इन नियमों के खिलाफ कई बार प्रदर्शन हुए हैं और कई महिलाओं को गिरफ्तार भी किया गया है। अहू दरयाई का न्यूड प्रदर्शन ईरान की उन महिलाओं का प्रतीक बन गया है, जो अपने अधिकारों के लिए जोखिम उठाने से भी पीछे नहीं हटतीं। इस प्रदर्शन के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है और खबरें हैं कि उन्हें मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण के लिए एक वार्ड में भेजा गया है। महिला संगठनों का दावा है कि यह ईरान की सरकार की रणनीति है, ताकि विरोध को दबाया जा सके।