काठमांडू: नेपाल में जेन-जी आंदोलन के दौरान हुई हिंसा, मौतों और संपत्ति के भारी नुकसान की जांच कर रहा आयोग अब शीर्ष राजनीतिक नेताओं तक पहुंच गया है। वहीं इस मामले में जांच तेज करते हुए आयोग ने पूर्व गृहमंत्री को तलब किया है। आयोग ने पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक को तलब करते हुए आंदोलन के दौरान उनकी भूमिका पर बयान दर्ज कराने को कहा है। दरअसल, लेखक उस समय गृह मंत्री थे, जब 8 सितंबर को जेन-जी आंदोलन की शुरुआत हुई थी। पुलिस फायरिंग में बड़ी संख्या में लोगों की मौत के बाद उन्होंने उसी दिन अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
आगामी दिनों में विभिन्न अधिकारियों को भी पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है, जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली का नाम भी शामिल है। कमीशन ने पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक को आंदोलन के दौरान उनकी भूमिका के बारे में बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया। सरकारी अनुमानों के अनुसार, देश में 77 लोगों की जान गई और 84.45 बिलियन नेपाली रुपए की संपत्ति का नुकसान हुआ। आयोग के अध्यक्ष गौरी बहादुर कार्की ने बताया कि 8 और 9 सितंबर को हुई घटनाओं से जुड़े अधिकांश लोगों के बयान पहले ही दर्ज किए जा चुके हैं।
अब अंतिम चरण में पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक और पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के बयान दर्ज करने की तैयारी की जा रही है। हालांकि, ओली को कब तलब किया जाएगा इस पर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली लगातार आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते रहे हैं। उन्होंने आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाया है और साफ कहा है कि वह इसके सामने बयान दर्ज कराने नहीं जाएंगे। एक स्थानीय टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में ओली ने कहा कि आयोग ने पहले ही अपने निष्कर्ष तय कर लिए हैं ऐसे में बयान देने का कोई औचित्य नहीं बचता।
इस बीच, सरकार ने 10 दिसंबर को जेन-जी आंदोलन से जुड़े विभिन्न गुटों के साथ एक अहम समझौता किया, जिसके तहत आयोग के कार्यक्षेत्र का विस्तार किया गया है। समझौते के अनुसार, आयोग आंदोलन के दौरान अत्यधिक बल प्रयोग, मानवाधिकार उल्लंघन और गैर-न्यायिक हत्याओं के आरोपों की निष्पक्ष जांच करेगा और आपराधिक जवाबदेही तय करने की सिफारिश करेगा।
जांच के आधार पर आयोग यह भी सिफारिश कर सकता है कि जिन लोगों पर गंभीर अपराध या संगठित हिंसा में शामिल होने के सबूत नहीं मिलते, उन्हें हिरासत से रिहा किया जाए और उनके खिलाफ दर्ज मामले वापस लिए जाएं। पुलिस द्वारा कई प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी को लेकर जेन-जी गुटों ने विरोध जताया है। वहीं ओली और उनकी पार्टी सीपीएन-यूएमएल का आरोप है कि मौजूदा सरकार राजनीतिक बदले की भावना से उन्हें निशाना बना रही है जबकि तोड़फोड़ में शामिल अन्य लोगों को छोड़ा जा रहा है।
