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अपनी उपलब्धियां गिनाने के बजाय आपस में भड़ास निकालने तक सीमित: जयराम ठाकुर

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करोड़ों रुपए खर्च करके केंद्र औरभाजपा सरकार को गालियां देना ही सुक्खू सरकार का विजन

केंद्र सरकार की योजना के लाभार्थियों और राज्य  सरकार के कर्मचारियों को बुलाकर जुटाई भीड़

ऊना/सुशील पंडित: पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने प्रदेश सरकार के तीन साल के जश्न को लेकर कहा कि जहां आपदा में सबसे अधिक नुकसान हुआ वहीं इस सरकार ने जश्न मनाया। इससे असंवेदनशील बात कोई और नहीं हो सकती कि इस सरकार ने आपदा पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लगाने के बजाए नमक छिड़कने का काम किया। पड्डल के मैदान से आज पूरे प्रदेश ने देखा कि कैसे इनके मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री ने एक दूसरे के खिलाफ़ आंखे तरेरते हुए भड़ास निकाली। जनता, अधिकारी और कमर्चारी भी ये देख हतप्रभ रह गए कि ये कोई मंच आपसी खुन्नस निकालने का नहीं बल्कि आपदा पीड़ितों की मदद करने और उनकी संवेदनाओं के साथ चलने का था। 3 साल के उत्सव के बाद अपना विजन रखने का मंच जिस कार्यक्रम को सरकार ने बताया वहां सिर्फ केंद्र सरकार को कोसने का काम किया गया। सुक्खू सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि आने वाले 2 साल भी इसी तरह से केंद्र सरकार और पूर्व की भाजपा सरकार को कोसकर ही चलेंगे। मैंने पहले ही कहा था या सरकार विजन लाइफ है विजन पूरी तरीके से ब्लर है। आज केस मंच पर है साबित हो गया है।

उन्होंने कहा कि करीब दस करोड़ रुपए सरकारी कोष से इस सरकार ने क्या इसलिये खर्च किया कि आपस की लड़ाई सरेआम लड़ी जाए। क्या ये पैसा आपदा पीड़ितों को नहीं बांटा जाना चाहिये था। उन्होंने कहा कि उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने ही व्यवस्था परिवर्त्तन का नाम देने वाली इस सरकार को खुद ही नम्बर दे डाले कि मुख्यमंत्री सुक्खू ऐसा नहीं चलेगा। आज तक हम पर्दे के पीछे सुनते आए थे लेकिन आज सरेआम मंच पर लड़ाई दिखी। एक और बात आज हमें देखने को मिली और पूरी कांग्रेस ने भी देखी कि जिस हॉलीलोज के सहारे ये सरकार सत्ता में आई उनका न तो कोई फ़ोटो और पोस्टर दिखा और खुद भी पूर्व अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और उनका बेटा लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ही मौजूद नहीं थे। ये दिखाता है कि कांग्रेस में वीरभद्र सिंह कांग्रेस के लोगों को मुख्यमंत्री सुक्खू और उनके मित्र ही खत्म करने पर तुले हुए हैं।

इस रैली में लोग आए नहीं बुलाये गए थे और कर्मचारियों पर दबाब था कि सारा काम छोड़ रैली में अवश्य आना है। रैली में स्कूली बच्चों तक को जबरन बसों में बैठाया गया। आई टी आई के बच्चों को जबरन पड्डल मैदान में धकेला गया लेकिन फिर भी ये रैली असफल और विफल रही। ये रैली सिर्फ अपनी भड़ास निकालने और खुन्नस निकालने तक सीमित रही। सरकारी रैली का नाम देकर सरकारी कार्यक्रम मात्र दो मिनेट में समेट दिया जबकि लोगों और योजनाओं के लाभार्थियों को ये कहकर लाया गया कि आपको पैसे दिलाये जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस सरकार को उखाड़ फैंकने के लिए जनता तैयार बैठी है।

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