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शिक्षा का कांग्रेसीकरण करने के बजाय रोजगारोन्मुखी करे सरकार: जयराम ठाकुर

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हिमाचल बोर्ड की पुस्तिका से शिक्षा मंत्री का संदेश गायब, आला नेताओं के संदेशों की भरमार

72 पेज की बुकलेट में 40 पेजों पर सिर्फ कांग्रेसी नेताओं की बधाइयां 

ऊना/सुशील पंडित: शिमला से जारी बयान में पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा है कि सरकार की मंशा प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को पतन की तरफ ले जाने और उसके कांग्रेसीकरण करने की है। अगर मुख्यमंत्री और सुख की सरकार शिक्षा के क्षेत्र में कुछ कर सकती है तो वह शिक्षा का रोजगारोन्मुखी बनाएं तो बेहतर होगा। शिक्षा का कांग्रेसीकरण हम नहीं करने देंगे। सत्ता में आने के बाद से  3 साल में ही लगभग 2000 शिक्षण संस्थानों पर ताला लगाने वाली सरकार के मुंह से शिक्षा व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण की बात निकलनी चाहिए लेकिन जिम्मेदार लोग शिक्षा के कांग्रेसीकरण की बात करते हैं जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड प्रदेश के  छात्रों के शैक्षणिक योग्यता को परखने का माध्यम हैं, हिमाचल के नेताओं के अपनी ब्रांडिंग और आलाकमान की चाटुकारिता करने का नहीं। दुर्भाग्यवश यह पुस्तिका भी राजकीय प्रिंटिंग प्रेस के अलावा अन्यत्र जगह से प्रकाशित है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बाल दिवस के अवसर पर हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड द्वारा एक पुस्तिका प्रकाशित करवाई गई। उस पुस्तिका को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के बारे में लिखे जाने का दावा किया गया है। इस पुस्तक को देखकर लगता है कि साहित्यिक नैतिकता को ताक पर रख दिया है। महान विचारकों के कथन को क्रेडिट तक नहीं दिया है। अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी का नाम पूरी पुस्तक में नहीं है। राष्ट्रीय एकता के प्रतीक लौह पुरुष सरदार पटेल का जिक्र भी नहीं है। जिनके बिना आधुनिक भारत का जिक्र भी बेमानी है। पुस्तिका या उसके चैप्टर के लेखक का नाम तक नहीं लिखा गया है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हैरानी की बात यह है कि 72 पेज की उस पुस्तिका में 40 पेज कांग्रेस के नेताओं की शुभकामना संदेश से भरे हुए हैं। उससे भी हैरानी की बात यह है कि इस पूरी पुस्तिका में प्रदेश के शिक्षा मंत्री का संदेश कहीं नजर नहीं आ रहा है। इस पुस्तिका में शिक्षा विभाग के सचिव, निदेशक आदि के भी बधाई संदेश को स्थान नहीं मिल पाया है लेकिन कांग्रेस के महासचिव, कांग्रेस आला कमान के खासम खास नेताओं के बधाई संदेश प्रमुखता से प्रकाशित हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या हिमाचल प्रदेश के पैसे से सरकार में बैठे कुछ लोग अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने की जुगत लगा रहे हैं? गनीमत यह है कि पुस्तिका में कांग्रेस ने चुनाव चिन्ह नहीं डाला।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के संसाधन जो की शिक्षा के बेहतरी के लिए खर्च होने चाहिए थे वह कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं के प्रशंसा में खर्च हो रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के शिक्षकों को परीक्षा पुस्तिका के मूल्यांकन का पैसा  भी 2 साल से नहीं मिला है, एग्जाम ड्यूटी का भत्ता भी 2 साल से ज्यादा समय से लंबित है। हिमाचल प्रदेश  शिक्षा बोर्ड के संसाधन प्रदेश के शिक्षकों और छात्रों के बेहतरी के लिए खर्च होने चाहिए न कि कांग्रेस की आंतरिक गुटबाजी और सरकार और पार्टी नेताओं का करीबी साबित करने के लिए।

जयराम ठाकुर ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था के कांग्रेसीकरण का जमकर विरोध करती है और आगे भी करेगी। जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों से हम ऐसी आशा करते हैं कि वह नैतिकता का ध्यान रखें और शिक्षा व्यवस्था को अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा से अलग रखें। शिक्षा व्यवस्था के लिए अगर सरकार कुछ करना चाहती है तो वह केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति को अक्षरशः और प्रभावी तरीके से लागू करे। जिससे शिक्षा और ज्यादा रोजगारोन्मुख हो सके। अगर सरकार की मंशा ठीक है तो कौशल विकास के जिन कार्यक्रमों को सरकार ने दो साल से ठप रखा है उन कार्यक्रमों को पुनः शुरू करें और प्रभावी तौर पर उसका क्रियान्वयन करे। जिससे प्रदेश में कौशल विकास के क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा युवा सीखें और देश और प्रदेश हित काम कर सकें

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