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HomeHimachalबच्चों का नया भविष्य गढ़ रही इंदिरा गांधी सुख शिक्षा योजना

बच्चों का नया भविष्य गढ़ रही इंदिरा गांधी सुख शिक्षा योजना

ऊना में 2189 बच्चों को मिली 1.92 करोड़ की मदद

ऊना/सुशील पंडित: हिमाचल सरकार की इंदिरा गांधी सुख शिक्षा योजना बच्चों का नया भविष्य गढ़ने के साथ जरूरतमंद परिवारों के लिए जमीनी बदलाव का माध्यम बन चुकी है। ऊना ज़िले में इस योजना में अब तक 2189 बच्चों को कवर करते हुए 1 करोड़ 92 लाख 69 हजार की आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई जा चुकी है, जिससे अभावग्रस्त घरों में शिक्षा का उजियारा हुआ है।मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की पहल पर शुरू हुई यह योजना उन बच्चों के लिए संजीवनी बन रही है जिनकी माताएं विधवा, तलाकशुदा, परित्यक्ता या निराश्रित हैं, या फिर जिन के माता-पिता 70 प्रतिशत या उससे अधिक दिव्यांगता से पीड़ित हैं।

सरकार ऐसे बच्चों को 18 वर्ष की आयु तक 1 हजार रुपये प्रतिमाह की सहायता देती है ताकि उनकी प्रारंभिक शिक्षा, पोषण और बुनियादी ज़रूरतें पूरी हो सकें। वहीं उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे 18 से 27 वर्ष के युवाओं को, यदि छात्रावास सुविधा उपलब्ध न हो, तो 3 हजार रुपये प्रतिमाह की सहायता दी जाती है। ऊना जिले के सभी विकासखंडों में यह योजना प्रभावी ढंग से कार्यान्वित की जा रही है। जिला कार्यक्रम अधिकारी (आईसीडीएस) नरेंद्र कुमार बताते हैं कि यह योजना उन परिवारों के लिए राहत का बड़ा जरिया बनी है, जिनके लिए बच्चों की पढ़ाई जारी रखना एक आर्थिक चुनौती थी।

वहीं उपायुक्त जतिन लाल का कहना है कि इस योजना को मुख्यमंत्री की सोच के अनुरूप ज़मीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू किया गया है और प्रशासन यह सुनिश्चित कर रहा है कि कोई पात्र बच्चा इस लाभ से वंचित न रहे योजना का वास्तविक असर लाभार्थी परिवारों की ज़ुबानी साफ देखा जा सकता है। ऊना वार्ड नंबर 6 की पूजा पुरी बताती हैं कि पति के देहांत के बाद दो बेटियों की पढ़ाई का खर्च उठाना मुश्किल हो गया था, लेकिन छह महीने में 12 हजार रुपये की सहायता ने बड़ा संबल दिया। वहीं कोटला कलां की सरोज बाला और ऊना की रेणु देवी जैसी कई महिलाओं ने इस योजना को संजीवनी करार देते हुए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया है।

तन्मय, जो अब ग्यारहवीं में पढ़ रहे हैं, कहते हैं कि पिता के निधन के बाद परिवार पर आया आर्थिक बोझ इतना था कि उसे पढ़ाई छोड़नी पड़ सकती थी। लेकिन सुख शिक्षा योजना उनके लिए वरदान साबित हुई। अब वे पढ़ रहे हैं और सुनहरे भविष्य के नए सपने गढ़ रहे हैं।

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