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भारत की युवा वैज्ञानिक ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर लहराया परचम

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पालमपुर की बेटी अंकिता रघुवंशी ने डेनमार्क में प्रस्तुत किया अभिनव शोध, पार्किंसन रोगियों के लिए विकसित की नई तकनीक 

ऊना/सुशील पंडित: हिमाचल प्रदेश के पालमपुर नगर की होनहार बेटी अंकिता रघुवंशी ने वर्ष 2025 में विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित किया है। वे इस समय भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गांधीनगर के विद्युत अभियंत्रण विभाग में पीएच.डी. शोधार्थी हैं और उनका अनुसंधान कार्य विशेष रूप से स्वास्थ्य तकनीक पर केंद्रित है।

हाल ही में उन्होंने डेनमार्क के कोपेनहेगन नगर में आयोजित विद्युत तथा इलेक्ट्रॉनिकी अभियंत्रण संस्थान की चिकित्सा एवं जीव अभियंत्रण परिषद सम्मेलन 2025 में भाग लेकर भारत का प्रतिनिधित्व किया। इस वैश्विक मंच पर उन्होंने अपने शोधपत्र “स्मार्टस्ट्राइडएफ़ओजी” का सफलतापूर्वक प्रस्तुतीकरण किया। यह शोध पार्किंसन रोगियों में चाल रुक जाने की स्थिति की सटीक पहचान हेतु विकसित एक बुद्धिमान पहनने योग्य प्रणाली पर आधारित है, जो मरीज की चाल, संतुलन एवं अचानक रुकने की प्रवृत्ति की निगरानी कर, चिकित्सकों को समय रहते निदान और उपचार में सहायता देती है। यह प्रणाली विशेष रूप से वृद्धावस्था में उत्पन्न होने वाले तंत्रिका तंत्र संबंधी विकारों की रोकथाम और नियंत्रण में उपयोगी सिद्ध हो सकती है।

अंकिता रघुवंशी ने इससे पूर्व भी नवाचार के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। उनके सामाजिक उपयोगिता आधारित परियोजना “प्रगति” को गांधीवादी युवा तकनीकी नवाचार सम्मान से अलंकृत किया जा चुका है। यह परियोजना पार्किंसन रोगियों के पुनर्वास एवं सहायता के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित यंत्र प्रणाली के विकास पर केंद्रित थी।

शैक्षणिक पृष्ठभूमि की बात करें तो अंकिता ने अपनी स्नातक शिक्षा राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रायपुर से इलेक्ट्रॉनिकी एवं संचार अभियंत्रण में पूर्ण की और वर्तमान में वे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गांधीनगर से पीएच.डी. कर रही हैं। उनके अनुसंधान के मुख्य विषय हैं — जैव संकेत प्रसंस्करण, चाल विश्लेषण, स्वास्थ्य सेवाओं में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग एवं मानव-केंद्रित सहायक तकनीकें।

अपने शोध कार्य के लिए उन्हें हाल ही में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जालंधर में आयोजित इलेक्ट्रॉनिकी अनुप्रयुक्त सम्मेलन 2025 में श्रेष्ठ शोधपत्र सम्मान प्राप्त हुआ है। उन्होंने गेटवेयर नामक एक अन्य पहनने योग्य प्रणाली भी विकसित की है, जो गति मापक इकाई (आईएमयू) और बल संवेदनशील अवरोधक (एफएसआर) सेंसरों के माध्यम से वास्तविक समय में मरीज की चाल और FoG की संभावना का आंकलन करती है। तकनीकी दक्षताओं में उन्हें वैज्ञानिक गणनात्मक भाषा, प्रोग्रामन प्रणाली, सूक्ष्म नियंत्रक, सन्निहित प्रणालियाँ, यंत्र-संवेदी एकीकरण, त्वरित डाटा संकलन, सांख्यिकीय विश्लेषण एवं मशीन शिक्षण विधियों में गहरा अनुभव प्राप्त है।

पालमपुर की इस बेटी की प्रेरणा स्त्रोत रहे हैं उनके दादा स्वर्गीय सुरिन्दर सिंह रघुवंशी तथा नाना स्वर्गीय कंवर हरि सिंह, जो एक प्रख्यात समाजसेवी रहे हैं। अंकिता उन्हें अपने जीवन मूल्यों और सेवा-भावना की नींव मानती हैं। उनके पिता डॉ अजय सिंह रघुवंशी, वर्तमान में राष्ट्रीय  प्रौद्योगिकी संस्थान,(एनआईटी) रायपुर में विभागाध्यक्ष के पद पर कार्यरत हैं और अपनी उपलब्धियों का श्रेय वह पिता अजय सिंह रघुवंशी व माता पूनम रघुवंशी को देती है

अंकिता रघुवंशी की यह उपलब्धि न केवल पालमपुर और हिमाचल प्रदेश, बल्कि पूरे भारतवर्ष के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया है कि भारत की युवा पीढ़ी, विशेषकर बेटियाँ, विज्ञान और नवाचार के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की क्षमता रखती हैं। उनका अनुसंधान कार्य चिकित्सा विज्ञान में एक नई दिशा देने के साथ-साथ समाज में रोगियों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

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