नई दिल्ली: भारत पर अमेरिका ने भले ही इस समय 50 फीसदी टैरिफ लगाया है परंतु इंडियन इकोनॉमी की रफ्तार पर या किसी भी बाधा पर इसका असर नहीं होगा। इस बात का खुलासा ईवाई इंडिया की रिपोर्ट में हुआ है। इसमें यह कहा गया है कि भारत 2038 तक 34.2 ट्रिलियन डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद के साथ दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
EY इकोनॉमी वॉट अगस्त 2025 में यह कहा गया है कि भारत टैरिफ दबाव और वैश्विक अनिश्चितताओं के बाद ये कमाल करेगा। ईवाई इंडिया ने यह कहा है कि सारी चुनौतियों से उभरते हुए भारत दुनिया की 5 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना है। मजबूत आर्थिक बुनियाद के साथ देश तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है। टैरिफ दबाव और धीमे व्यापार जैसी वैश्विक अनिश्चितताओं के बाद भी भारतीय इकोनॉमी घरेलू डिमांड पर उसकी निर्भरता और आधुनिक तकनीकों में बढ़ती हुई क्षमताओं में मजबूत बनी है।
रिपोर्ट में यह अनुमान लगाते हुए जाहिर करते हुए कहा है कि आने वाले 5 साल में यानी की 2030 तक भारत की इकोनॉमी 20.7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी। अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान की तुलना में भारत की स्थिति अच्छी है हालांकि चीन 2030 तक अनुमानित 42.2 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ इकोनॉमी की रेस में सबसे आगे रह सकता है परंतु दूसरी ओर उसकी बूढ़ी होती आबादी लगातार बढ़ता कर्ज और चुनौतियां पेश करेगा। अमेरिका हालांकि फिलहाल अभी के लिए मजबूत बना है परंतु उसे सकल घरेलू उत्पाद के 120% के कर्ज और विकास दर की सुस्त रफ्तार का सामना करना पड़ेगा।
भारत की स्थिति अच्छी है
अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान की तुलना में भारत की स्थिति अच्छी है हालांकि चीन 2030 तक अनुमानित 42.2 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ इकोनॉमी की रेस में सबसे आगे रहेगा लेकिन दूसरी ओर उसकी बूढ़ी होती आबादी और लगातार बढ़ता हुआ कर्ज चुनौतियां पेश करेगा। अमेरिका हालांकि फिलहाल मजबूत है परंतु उसे सकल घरेलू उत्पाद के 120% से ज्यादा के कर्ज और विकास दर की सुस्त रफ्तार को झेलना पड़ा है।
जर्मनी और जापान भी उन्नत परंतु इनका वैश्विक व्यापार पर भारी निर्भरता हो चुकी है। इसका असर इकोनॉमी पर देखने को भी मिलेगा। इसके अलावा रिपोर्ट में भारत की क्षमता को देखते हुए यह कहा गया है कि भारत में युवा आबादी, बढ़ती हुई घरेलू डिमांड और एक टिकाऊ राजकोषीय आउटलुक का एक अच्छा कॉम्बिनेश है जो इसको लॉन्गटर्म ग्रोथ के लिए अनुकूल रास्ता देगा।
एक्सपर्ट्स की मानें तो भारत की तुलनात्मक क्षमताएं, युवा आबादी और कुश्ल कार्यबल के साथ ही मजबूत बचत और निवेश देश की हाई ग्रोथ को बनाए रखने में मदद करेंगे। तकनीक के बेहतर इस्तेमाल और उन्नत क्षमताओं का निर्माण करेंगे। इससे भारत 2047 तक अपनी विकसित भारत की आकांक्षाओं के करीब पहुंचने की स्थिति में है।
रिपोर्ट में यह आंकड़ों के साथ बताया गया है कि आखिर कैसे भारत 13 साल में बड़ा कमाल करेगा। सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत 2025 में 28.8 वर्ष की औसत आयु, दूसरी सबसे हाई सेविंग रेट और सरकारी ऋण-जीडीपी अनुपात के साथ 2024 के 81.3% से कम होकर 2030 तक 75.8% हो जाएगी। वहीं टॉप इकोनॉमी की इस लिस्ट में शामिल बाकी देशों में ऋण का स्तर लगातार बढ़ता ही जा रहा है।
ईवाई की रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी की आईएमएफ के द्वारा अनुमानित 2028-2030 की औसत विकास दर का हवाला देते हुए यह कहा गया है कि भारत 2038 तक पीपीपी के संदर्भ में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा। इसका अनुमानित जीडीपी साइज 34.2 ट्रिलियन डॉलर होगा। अब यहां पर ये समझना जरुरी है कि आखिरी जीडीपी होती क्या है?
जीडीपी का अर्थ है क्रय शक्ति समता पर आधारित सकल घरेलू उत्पाद। पीपीपी का इस्तेमाल करते हुए देशों के बीच आर्थिक उत्पादन की अधिक निष्पक्ष तुलना होती है क्योंकि यह प्रदर्शित करता है कि अमेरिकी डॉलर में किसी देश की कितनी परचेंजिंग वैल्यू है।
जल्द तीसरी बड़ी इकोनॉमी बनेगा भारत
हाल ही में आई सभी रिपोर्ट्स की अगर बात करें तो उनमें भी भारतीय अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार को सराहा गया है। इसके सबसे तेजी से आगे बढ़ती हुई इकोनॉमी होने का दावा भी किया है। मौजूदा समय दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक ताकतों की बात करें तो अमेरिका, चीन, जापान, भारत और जर्मनी है। भारत इस समय 4वें पायदान पर मौजूद है। अगले 3-4 साल में भारत तीसरी सबसे बड़ी भारतीय इकोनॉमी बन जाएगा हालांकि अमेरिका आज भी दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।