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भारत ने बनाई पहली देसी सुपर Antibiotic दवाई, Diabetes-Cancer के मरीजों को देगी फायदा

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सेहत: भारत ने मेडिकल साइंस में कमाल कर दिखाया है। पहली बार स्वदेशी सुपर एंटीबायोटिक दवाई नेफिथ्रोमाइसिन बनाई है। यह दवाई उन बैक्टीरिया से लड़ती है जिन पर दूसरी एंटीबायोटिक्स दवाईयां काम नहीं करती हैं। डायबिटीज और कैंसर के मरीजों के लिए यह दवाई वरदान साबित होगी। केंद्रीय मंत्री के अनुसार, यह भारत की पहली देसी एंटीबायोटिक है जो पूरी तरह सुरक्षित और असरदार होगी। 14 साल की मेहनत के बाद यह तैयार हुई है और यह दवाई 97 फीसदी मरीजों के लिए फायदेमंद साबित होगी।

मरीजों पर हुआ दवाई का टेस्ट

जब डायबिटीज के मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है या फिर कैंसर के इलाज के दौरान इंफेक्शन हो जाता है तो पुरानी दवाईयां काम नहीं करती। ऐसे में मरीज काफी परेशान हो जाते हैं लेकिन नेफिथ्रोमाइसिन ने ऐसे ही इंफेक्शन पर अब कमाल करके दिखाया है। यह दवाई खासतौर पर सांस की बीमारियों जैसे की निमोनिया के लिए बनी है। यह निमोनिया स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया के कारण होता है। यह बैक्टीरिया निमोनिया के 33 फीसदी कैसों के लिए जिम्मेदार होता है। केंद्रीय मंत्री के अनुसार यह दवाई एजिथ्रोमाइसिन से 10 गुना ज्यादा ताकतवर है और सिर्फ तीन दिन में ही गंभीर से गंभीर निमोनिया को ठीक कर देती है। इस दवाई को भारत अमेरिका-यूरोप के मरीजों पर टेस्ट भी किया गया और नतीजे काफी अच्छे रहे हैं।

2025 के आखिर तक मार्केट में आएगी दवाई

इस दवाई को बनाने में मुंबई की वॉकहार्ट लिमिटेड ने खास भूमिका निभाई है। इसमें जैव प्रौद्गोयिकी विभाग और बीआईआरएसी ने भी साथ दिया है। पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के अंतर्गत इस दवाई को बनाने के लिए वॉकहार्ट के वैज्ञानिकों ने 14 साल तक कड़ी मेहनत भी की। ऐसा माना जा रहा है कि मिकनाफ नाम से दवाई 2025 के आखिर तक मार्केट में भी आ जाएगी। इसके दाम भी कम रखे जाएंगे ताकि आम आदमी इसको खरीद पाए। सरकार इस दवाई को आयुष्मान भारत योजना में शामिल करने का भी प्लान बना रही है।

दवाई से होगा फायदा

भारत में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस एक बड़ी समस्या है। इसके कारण हर साल करीबन 6 लाख लोग अपनी जान गंवा देते हैं। वहीं पूरी दुनिया में करीबन 20 लाख मौतें निमोनिया के कारण होती है। अब नेफिथ्रोमाइसि जैसी दवाई से लड़ाई आसान हो जाएगी। यह मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट बैक्टीरिया पर भी हमला करती है जो पुरानी दवाईयों को बेकार बना देते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये दवाई भारत की फार्मा इंडस्ट्री के लिए गेमचेंजर साबित होगी।

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