धर्म: भारतीय संस्कृति में श्राद्ध कर्म बेहद जरुरी माने गए हैं। यह पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए किए जाते हैं। पितृ पक्ष के दौरान लोग अपने पितरों का तर्पण और पिंडदान करते हैं। उनका श्राद्ध करके उन्हें याद करते हैं। इस बाद पितृ पक्ष 7 सितंबर से शुरु हो चुका है और 21 सितंबर तक रहेगा।
ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध पक्ष में पितरों को तर्पण देने से न सिर्फ वो खुश होते हैं बल्कि घर परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद भी देते हैं। शास्त्रों की मानें तो श्राद्ध कर्म विधि-विधान के साथ करने से पितर सभी गलतियों को माफ कर देते हैं।
इस तरह करें पितरों को तर्पण
तर्पण विधि के लिए गंगाजल, लोटे में जल, आधा गिलास कच्चा दूध, चावल (बिना टूटे हुए), कुशा, परात। अब सबसे पहले लोटे में जल लेकर उसमें गंगाजल मिलाएं। इसके बाद लोटे में काले तिल और दूध भी मिलाएं। हाथ के ठीक नीचे परात को लकड़ी की चौकी पर रखें। फिर सबसे पहले कुशा लें और हाथ में अक्षत लेकर जल डालकर ब्रह्मा, विष्णु और महेश को अर्पित करें। अब जिन भी पितरों को आप तर्पित कर रहे हैं उनको मन ही मन में याद करें। उनका नाम लें और ऊं पितृभ्यो नम: मंत्र का जाप करें। फिर बाएं हाथ से लोट के अंदर ही सामग्री के साथ जल अपने दाएं हाथ पर धीरे-धीरे डालें। इसके बाद परात का जल किसी पौधे में डाल दें। इस विधि को आप दोपहर में 12 बजे के आस-पास करें।
यदि इस समय संभव न हो तो जिस समय बनता हो उस समय करें परंतु सूर्यास्त से पहले ही पितरों का तर्पण करें। इसके बाद अपनी श्रद्धा के अनुसार, जितने भी ब्राह्मणों को आप भोजन करवाना चाहते हैं करवा लें। इस बात का ध्यान रखें कि इस दिन गाय, कौए और कुत्ते को जरुर खाना दें।